नई दिल्ली ।। GST की लॉन्चिंग के दो साल बाद केंद्र सरकार ने इसकी सबसे बड़ी समीक्षा शुरू कर दी है। इसके तहत गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की स्लैब और दरें एक बार फिर से तय की जा सकती हैं। लीकेज को रोकने और कलेक्शन में इजाफे की कोशिशों के तहत सरकार ने अब रिव्यू शुरू किया है। एक देश, एक टैक्स की इस व्यवस्था की समीक्षा का काम केंद्र और राज्य सरकारों के 12 अफसरों की एक कमेटी को सौंपा गया है।
पीएमओ की ओर से राज्य के सचिवों पर GST को लेकर बातचीत प्रस्तावित है। उससे ठीक पहले इस पैनल के गठन का फैसला लिया गया है। मीटिंग में राज्यों से GST के कलेक्शन को बढ़ाने को कहा जा सकता है। माना जा रहा है कि पैनल इस बात पर विचार करेगा कि आखिर किस तरह से GST के दुरुपयोग को रोका जा सके।
इसके अलावा ऐसे नियम बनें कि लोग स्वेच्छा से ही GST के दायरे में जुडऩा चाहें। रेस्तरां जैसे सेक्टर्स के GST से बचने और अन्य लीकेज को रोकने पर भी पैनल विचार करेगा। GST रिव्यू कमिटी की ओर से राज्यों सरकारों से कुछ प्रोडक्ट्स को GST स्लैब में लाने पर विचार करने को कहा जा सकता है।
GST कलेक्शन में बीते कुछ महीनों में कमजोरी देखने को मिली है। इस फाइनैंशल इयर की पहली छमाही में GST कलेक्शन की ग्रोथ 5 फीसदी से कम रही है, जबकि लक्ष्य 13 फीसदी से ज्यादा इजाफे का था। हालांकि माना यह भी जा रहा है कि स्लोडाउन के चलते भी GST में कमी देखने को मिली है। खासतौर पर ऑटो सेल्स में कमी और बाढ़ के चलते भी यह स्थिति पैदा हुई है।
इसके अलावा अधिकारियों को राज्यों में GST के सही ढंग से लागू होने की भी चिंता है। बता दें कि सालाना 14 फीसदी से कम इजाफे की स्थिति में केंद्र सरकार ने राज्यों को भरपाई की बात कही है। गौरतलब है कि बीते कुछ सप्ताह में विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने GST में कलेक्शन के लिए केंद्र पर ही हमला बोला है। विपक्षी सरकारों का कहना है कि कलेक्शन में कमी की वजह इसकी डिजाइनिंग में कमी है। इसके अलावा कई राज्यों ने टैक्स में कटौती को भी कलेक्शन में कमी की वजह बताया है।