आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले इस महान गणितज्ञ का निधन

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गणित एक ऐसा विषय है कि जिससे अधिकतर लोगों को डर लगता है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते है जो इसी गणित में महारत हासिल कर चुके हैं. कुछ ऐसे ही महारती और महान लोगों में एक नाम भी ख्यातिप्राप्त गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का भी है, जिनका आज गुरुवार को पटना में निधन हो गया. आपको बता दें कि 40 साल से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित वशिष्ठ नारायण सिंह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. वह 74 साल के थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताया है.

गौरतलब है कि गणितज्ञ या कहे की गणित विषेशज्ञवशिष्ठ नारायण सिंह पटना के कुल्हरिया काम्पलेक्स में अपने परिवार के साथ रहते थे. वहीं पिछले कुछ दिनों से वह बीमार थे और तबीयत खराब होने के बाद परिजन उन्हें पीएमसीएच लेकर गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

वहीँ जब उनके निधन की सूचना से पूरा बिहार गमगीन है. खबर मिलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि आर्पित की. महान गणितज्ञ के निधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस निधन से दुखी हैं. वह बेहद सम्मानित सज्जन थे.

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताया. मांझी ने कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन से समाज को अपूर्णीय क्षति पहुंची है.

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गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवन यात्रा

आपको बता दें कि गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षकता के सिद्धांत को चुनौती दी थी. उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही था.

पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह अक्सर अपने गणित के टीचर को दिया करते थे. इस बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल को पता चला तो वशिष्ठ नारायण सिंह की अलग से परीक्षा ली गई जिसमें उनकी गणितज्ञता के बारे में पता चला.

पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पर पड़ी और उन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना. 1965 में वह अमेरिका चले गए.

1969 में कैलिफोर्निया से PHD

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की.
वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए.
वशिष्ठ नारायण ने नासा में भी काम किया।
वह 1971 में भारत लौट आए.

वशिष्ठ नारायण ने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की.
1973 में उनकी शादी हो गई.
शादी के कुछ समय बाद वह मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गए.
बीमारी की वजह से उनकी पत्नी ने उनसे तलाक ले लिया.

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