मोदी सरकार में फिर बढ़ेगी GST दरें, इस स्लैब में इजाफा का प्रस्ताव

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जीएसटी को लेकर अभी तक सरकार का रैवया साफ़ नहीं हुआ है, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद से ही इसमें आये दिन कई बदलाव किये जाते है. जिसकी वजह से व्यपारियों में असमंजस की स्थिति बानी रहती है. यहीं कारण है कि जीएसटी को लेकर व्यपारी नाराज़ ही रहते है. वहीं आपको बता दें कि इस बार भी कुछ ऐसी ही स्थिति पैदा हो रही है. दरअसल, जीएसटी काउंसिल की अगले हफ्ते होने वाली बैठक में जीएसटी दरों में इजाफा कर दो ऊंची दरों के स्लैब तैयार करने को मंजूरी दी जा सकती है।

आपको बता दें कि बढ़ी दरों के बाद तमाम उत्पाद महंगे हो सकते हैं जिसका असर आम लोगों पर पड़ेगा। दिल्ली में हुई जीएसटी अधिकारियों की बैठक में कर की दरें बढ़ाने पर मंथन किया गया। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों की राय है कि पांच फीसदी कर को बढ़ाकर 6 से 8 फीसदी किया जाए। वहीं 12 वाले स्लैब को 15 फीसदी करने की भी सलाह दी गई है।

गौरतलब है कि इस साल जीएसटी संग्रह के लक्ष्य से लगातार पीछे चल रही सरकार ने कमाई बढ़ाने को लेकर राज्यों के जीएसटी अधिकारियों को चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में अधिकारियों से ऐसे उपाय तलाशने को कहा गया जिनसे सरकार की कमाई बढ़े बल्कि राज्यों को दिए जाने वाले कंपनसेशन रकम में भी इजाफा हो सके।

ई-इनवॉयसिंग अनिवार्य होगा

काउंसिल की मंगलवार को हुई बैठक में मौजूदा स्लैब को बढ़ाने के साथ साथ ई इनवॉयसिंग को भी अनिवार्य करने की सिफारिश की गई। बैठक में शामिल हुए केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की तरफ से ये फैसला लिया गया है कि 500 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई इनवॉयसिंग को अनिवार्य किया जाए। साथ ही कंपोजीशन स्कीम का दायरा बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों की राय थी कि इंटर स्टेट सप्लाई को कंपोजीशन स्कीम के दायरे में लाया जाए। ऐसा होने पर छोटे और मझोले कारोबारोयों को बड़ी राहत मिल सकती है।

18 फीसदी के स्लैब में भी सेस का सुझाव

अधिरियों ने इस दिशा में जो सुझाव दिए हैं उनके मुताबिक तंबाकू उत्पादों पर सेस बढ़ाया जा सकता है। साथ ही 18 फीसदी स्लैब वाले सामान में भी कम जरूरी उत्पादों पर सेस लगाने की सलाह दी गई है। अभी केवल 28 फीसदी स्लैब वाली चीजों पर सेस लगता है। आकलन के मुताबिक करीब आधा जीएसटी संग्रह 18 फीसदी स्लैब से होता है। ऐसे में अगर यहां सेस लगाया गया तो घाटे की भरपाई की जा सकती है।

मंत्री ने दिए थे संकेत

18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन सभी तरह की रणनीति पर प्रस्तुति दी जाएगी। प्रस्तुति के बाद ही काउंसिल में मौजूद राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और केंद्र सरकार किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचेगी। निर्मला सीतारमण ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में साफ कहा था कि पिछले कई महीनों में जीएसटी दरों में हुई कई दरों की कटौती करने के कारण ये कानून अपने वास्तविक स्वरूप से बिगड़ चुका है। ऐसे में देखना होगा सरकार अब क्या दरें बढ़ाने की शुरुआत करने जा रही है।

ईमानदार ग्राहकों की चांदी

सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को ये भी बताया है कि जीएसटी वसूली बढ़ाने के लिए सरकार ग्राहकों को जागरूक करने की तैयारी में है। सरकार जीएसटी बिल लेकर सामान खरीदने वाले ग्राहकों को ईनाम भी दे सकती है। ईनाम पाने वाले ग्राहकों का चयन लकी ड्रॉ के जरिए किया जाएगा। सभी बिलों में मौजूद लेनदेन आईडी के जरिए सिस्टम से लकी ग्राहक को चुना जाएगा।

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