नई दिल्ली॥ सोने के गहनों (gold jewelry) की खरीदारी के लिए आज से पूरे भारत में हॉल मार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। आज के बाद हॉलमार्क किए बगैर किसी भी सोने के गहने को व्यापारी बेच नहीं सकेंगे।
मोदी सरकार ने इसके पहले सोने के गहनों और कलाकृतियों के लिए हॉल मार्क करने की व्यवस्था की खत्म-ए-वक्त एक जून तय की थी, किंतु व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और सोने का कारोबार करने वाले कारोबारियों के आग्रह पर समय सीमा को एक जून से बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया था।
आज से हॉलमार्क की व्यवस्था लागू हो जाने के बाद अब देशभर में ज्वेलर्स सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट के गहने ही बेच सकेंगे। इन सभी गहनों पर हॉलमार्क के लिए तय किए गए भिन्न-भिन्न निशान दिखाई देंगे। इन निशानों में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) का लोगो, सोने की शुद्धता बताने वाला कोड नंबर, हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, हॉलमार्किंग का साल (वर्ष) और ज्वेलर का आईडेंटिफिकेशन नंबर शामिल होंगे। इन निशानों को मैग्नीफाइंग ग्लास से आसानी से देखा जा सकेगा।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सोने के गहने की खरीद में होने वाली धोखाधड़ी और सोने में मिलावट की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए नवंबर 2019 में ही हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया था। हालांकि ये व्यवस्था लागू करने के लिए देश भर के ज्वेलर्स को 15 जनवरी 2021 तक का समय दिया गया था, ताकि हर ज्वेलर अपनी ओर से सारी तैयारी कर सके।
विशेषज्ञों ने बताया कि हॉलमार्किंग की वजह से ग्राहकों में सोने की शुद्धता को लेकर भरोसा बढ़ सकेगा। इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद ग्राहक निश्चिंत होकर गहनों की खरीद कर सकेंगे, क्योंकि उन्हें मालूम होगा कि गहने में उसे शुद्ध सोने की कितनी मात्रा मिल रही है। हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू हो जाने के बाद कोई भी ज्वेलर 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट सोने के अलावा अन्य कैरेट वाले गहने नहीं बेच सकेंगे।
नियमों में ये भी स्पष्ट किया गया है कि आम उपभोक्ता अपनी पुरानी ज्वेलरी को सीधे हॉलमार्किंग सेंटर पर ले जाकर हॉलमार्क नहीं करा सकता है। इसके लिए उन्हें किसी ज्वैलर के जरिये ही हॉलमार्किंग करानी होगी। हालांकि अगर कोई व्यक्ति अपने सोने की शुद्धता की जांच कराना चाहता है, तो वो किसी भी हॉलमार्किंग सेंटर पर जाकर निर्धारित शुल्क अदा करने के बाद अपने सोने की शुद्धता की जांच करवा सकता है।