गुजरात में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, वैसे वैसे राजनीतिक पार्टियां अब दांव चलने लगी है. आपको बता दें कि पाटीदार नेता और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने 2015 में पाटीदार आंदोलन से संबंधित लंबित मुद्दों और मांगों को उठाते हुए गुजरात के नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा है, जो पाटीदार समुदाय से हैं।
वहीँ पत्र में हार्दिक पटेल ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस)से जुड़े विभिन्न लंबित मुद्दों को लेकर अपनी पूर्व की मांगों को दोहराया है। हार्दिक पटेल ने पत्र में लिखा, “अगर आरक्षण आंदोलन (उनके नेतृत्व वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति द्वारा शुरू किया गया) अनुचित था, तो सरकार को आरक्षण का प्रावधान नहीं करना चाहिए था।”
बताते चले कि हार्दिक ने राजद्रोह के आरोपों सहित अपने खिलाफ दर्ज करीब 28 मामलों का भी जिक्र किया। उन्होंने पत्र में कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी के खिलाफ राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता है।” गुजरात में जुलाई 2015 में शुरू हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद 438 मामले दर्ज किए गए। उस आंदोलन के दौरान चौदह पाटीदार युवाओं की जान चली गई थी।
हार्दिक पटेल ने पत्र में कहा कि पीएएएस आंदोलन के बाद गुजरात सरकार के गृह विभाग ने 391 मामले वापस लेने का वादा किया था, लेकिन यह आश्वासन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। वहीँ इसके साथ ही पटेल ने कहा कि उनके आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने पिछड़ी सवर्ण जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी।