देहरादून।। हरिद्वार में बीते आठ दिनों से लॉकडाउन के चलते बाजार पूरी तरह बंद हैं। जरूरी सामान की दुकानों को छोडकर शेष सभी दुकानें बंद हैं। एक बजे के बाद जरूरी सामान की दुकानों को भी गश्त करती पुलिस तत्काल बंद करा दे रही है। हरिद्वार के सप्ताह में सातों दिन खुलने वाले बाजारों में दुकानदारों के लिए इतनी लंबी बंदी का यह पहला अनुभव है।
हरिद्वार क्योंकि आमतौर पर शांत शहरों में शुमार है इसलिए यहां असामान्य परिस्थितियों में बाजारों के बंद रहने की घटनाएं कम ही हुई हैं। लॉकडाउन और निषेधाज्ञा का सामना धर्मनगरी करती रही है। उपद्रवों के कारण भी कई बार बाजार बंद रहे हैं। लेकिन इस समय लॉकडाउन में बाजार जितने लंबे समय के लिए बंद है, उसका हरिद्वार में कोई इतिहास नहीं है।
हरिद्वार में लंबे वक्त तक बाजारों के बंद रहने का पहला इतिहास 1965-71 के भारत, पाकिस्तान युद्ध के दौरान मिलता है। तब भी लॉकडाउन नहीं अपितु ब्लैक आउट हुआ करता था। सूर्य के ढलते ही बाजार बंद होने के साथ ही तमाम गतिविधियां शून्य हो जाती थी। तब तकनीक आज की तरह उन्नत नहीं थी, इसलिए रात में नीचे रोशनी देखकर शत्रु विमान बम न बरसा दें।
इसलिए पूरा शहर सूर्य ढलते ही अंधेरे में डूब जाता था। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भी करीब सप्ताह भर हरिद्वार के बाजार बंद रहे। 1986 के कुंभ में 14 अप्रैल के मुख्य स्नान पर कांगड़ा घाट के निकट पुल पर भगदड़ मचने से 56 लोग मारे गए। इस दुर्घटना के कारण लाखों लोगों से भरी धर्मनगरी शाम होते होते पूरी तरह खाली हो गई।
1994 में अलग राज्य आंदोलन के दौरान 2 अक्टूबर की रात को हुए मुजफ्फरनगर कांड के कारण भी हरिद्वार में चार दिन हालात असामान्य बने रहे। 1997 व वर्ष 2000 में दो बार कांवड़ियों के उपद्रव के कारण तीन दिन हरिद्वार के बाजार ठप्प रहे। 1998 में कुंभ के मुख्य स्नान के दौरान हरकीपैड़ी पर पहले स्नान को लेकर संतों में हुए आपसी विवाद के कारण पूरे शहर में हड़कंप मच गया।
इस घटना से मेला उजड़ने के बाद हरिद्वार के बाजार भी सूने हो गए। 2004 के अर्द्धकुंभ में हुए पुलिस, पब्लिक विवाद में धर्मनगरी को पहली बार लॉकडाउन का सामना करना पड़ा। इस दौरान पुलिस की गोली से एक युवक की मौत भी हुई। तीन दिन शहर लॉकडाउन ग्रस्त रहा।
जबकि सप्ताह भर यहां रैपिड एक्शन फोर्स, सीआरपीएफ, पीएसी सहित अन्य पुलिस व अर्धसैनिक बल डेरा डाले रहा। इस दौरान बाजार पूरी तरह बंद रहे। एक वक्त सूर्यग्रहण के दौरान भी हरिद्वार के बाजारों में पूरी तरह ‘‘लॉकडाउन’’ हो जाया करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता।