उत्तराखंड- स्टिंग मामले में बढ़ी हरीश रावत की मुश्किलें, इस नेता की वजह से घिरी BJP

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नैनीताल॥ विधायकों की खरीद-फरोख्त़ के स्टिंग के साढ़े तीन साल पुराने मामले में CBI द्वारा रिपोर्ट दर्ज कर लिए जाने से कांग्रेस के साथ ही उत्तराखंड की मौ़जूदा BJP सरकार भी परेशानी में घिरती नजर आ रही है। कांग्रेस के वरि़ष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत के अलावा CBI ने हरक सिंह रावत के विरू़द्ध भी केस दर्ज की है।

हरक सिंह रावत पूर्व में कांग्रेस की हरीश रावत सऱकार में मंत्री थे और BJP में आने के बाद मार्च 2017 में उन्हें त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व़ वाली मौजू़दा BJP सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया। ताजा घटनाक्रम के बाद राजनैतिक मोर्चे पर निरंतर चुनौतियों से जूझते आ रहे हरीश रावत और मौजूदा कैबि़नेट मंत्री हरक सिंह रावत के भविष्य पर सवालिया निशान लग गए हैं।

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कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हरीश रावत के राजनैतिक जीवन में दुश्वारियों की शुरुआत वर्ष 2014 में तब हुई, जब उन्हें विज़य बहुगुणा के स्थान पर कांग्रेस आलाकमान ने उत्तरा़खंड का सीएम बनाया। उस वक्त प्रदेश कांग्रेस में तीन बड़े क्षत्रप हरीश रावत, सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा थे।

सतपाल महाराज को पार्टी का ये फैसला पसंद नहीं आया और वह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का दामन झटक BJP में शामिल हो गए। अब रावत क्योंकि विजय बहुगुणा को हटाकर सी़एम बने, तो लाजिमी तौर पर उनके बीच भी दूरियां बढ़ गई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस़ पांचों सीटें BJP के हाथों गंवा बैठी और यहीं से हरीश रावत की मुश्किलें शुरू हुईं।

जिसेक पश्चात कांग्रेस में भीतर ही भीतर असंतोष गहराता रहा, जिसकी परिणति मार्च 2016 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पार्टी में बिखराव के रूप में सामने आई। 18 मार्च 2016 को पूर्व सीएम विजय बहुगुणा व तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह राव़त समेत कुल नौ विधायक पाला बदल कर कांग्रेस से BJP में चले गए।

कांग्रेस में हुई इस बड़ी टूट से रावत सरकार संकट में घिर गई और इसके कुछ दिन बाद ही हरीश रावत का वह स्टिंग सामने आया, जिसमें उन्हें सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए बातचीत करते दिखाया गया। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश पर लगभग सवा महीने बाद सरकार की बहाली हो गई।

हाईकोर्ट के निर्देश पर 10 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ, जिसमें सरकार तो बच गई लेकिन कांग्रेस की एक और विधायक ने BJP का दामन थाम लिया। रावत की मुश्किलें वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और ज्यादा बढ़ गई, क्योंकि तब उनकी सरकार के एक और कैबिनेट मंत्री व दो बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य भी BJP में शामिल हो गए।

हालांकि, इसके बाद उत्तराखंड में हरीश रावत ही कांग्रेस के एकमात्र बड़े नेता रह गए लेकिन पार्टी को इससे भारी नुकसान हुआ। इसका असर विधानसभा चुनाव में साफ नजर आया और कांग्रेस 70 सदस्यीय विधानसभा में महज 11 सीटों पर सिमट गई, जबकि BJP तीन-चौथाई से ज्यादा, 57 सीटों के साथ सत्ता हासिल करने में कामयाब हो गई। हरीश रावत स्वयं दो सीटों से चुनाव हार गए।

CBI का शिकंजा कसने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत के लिए राहत की बात यह है कि पार्टी उनके साथ खड़ी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार, CBI, ईडी और आइटी का दुरुपयोग कर रही है। जो भी आवाज केंद्र सरकार के विरूद्ध उठी है उसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी। आवश्यकता होगी तो कांग्रेस सरकार के विरूद्ध सड़कों पर उतरेगी।

दूसरी तरफ, CBI के रिपोर्ट दर्ज करने से BJP भी पसोपेश में घिर गई है। CBI ने हरक सिंह रावत पर भी एफआइआर दर्ज की है और वह अब BJP सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इस स्थिति में सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि BJP हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से हटाने जैसा कड़ा कदम उठा सकती है। हालांकि फिलहाल प्रदेश सरकार और BJP संगठन इस पर किसी तरह की टिप्पणी से बच रहे हैं।

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