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भारतीय करेंसी रुपया का पूरे देश में डंका बज रहा है। स्वदेशी पेमेंट टेक्नोलॉजी यूपीआई पूरी दुनिया में अपनी जड़ें जमा रहा है। पहले फ्रांस और अब संयुक्त अरब अमीरात तक इसकी पहुंच हो गई है। जाहिर सी बात है इस तरह रुपये और यूपीआई के अंतरराष्ट्रीयकरण में एक और नई उपलब्धि जुड़ गई है।

अब इसे भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच भुगतान आसान होने वाला है। समझौते ऐसे समय हुए हैं जब पीएम नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर गए हैं। पीएम मोदी फ्रांस की यात्रा पूरी करने के बाद संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे। इससे पहले फ्रांस में भी प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यूपीआई की शुरुआत की गई। रिजर्व बैंक ने एक आधिकारिक बयान में इसे लेकर हुए समझौते की जानकारी दी।

रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने स्थानीय मुद्रा यानी भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए यूएई के सेंट्रल बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसके अलावा दोनों सेंट्रल बैंकों के बीच पेमेंट और मैसेजिंग सिस्टम को इंटरलिंक करने पर भी समझौता हुआ है। रिजर्व बैंक ने बताया कि दोनों समझौतों पर गवर्नर शक्तिकांत दास और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया यूएई के गवर्नर खालिद मोहम्मद बलाला ने हस्ताक्षर किए।

दोनों देशों को होगा फायदा

जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल की रूपरेखा बनाने का उद्देश्य रुपये और दिरहम को बढ़ावा देना है। इसके दायरे में सभी करंट अकाउंट ट्रांजैक्शन और स्वीकृत कैपिटल अकाउंट ट्रांजैक्शन है। इससे दोनों देशों के आयातकों और निर्यातकों को खासा फायदा होने वाला है क्योंकि अब वे रुपये और दिरहम में आपस में भुगतान कर पाएंगे। इससे रुपया दिरहम विनियम बाजार भी विकसित होगा। इस समझौते से और क्या फायदा होगा। इससे आपसी लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल होने से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि भुगतान की प्रक्रिया आसान और तेज हो जाएगी। इससे व्यापार के भुगतान की लागत में कमी आएगी। दोनों देशों में आपसी निवेश को भी बढ़ाएगा। 

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