उत्तर प्रदेश के बिगड़े हालातों के बीच हाईकोर्ट ने जारी कर दिया बड़ा आदेश, 2 हफ्ते में करें॰॰॰

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उत्तर प्रदेश॥ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के गांव-देहात के इलाकों में कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रसार और रोकथाम के पुख्ता बंदोबस्त ना होने का पर चिंता जताई है। अदालत ने महामारी की रोकथाम के लिए योगी सरकार को सभी जनपदों में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है।

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इस कमेटी में सीजेएम रैंक के ज्यूडिशियल अधिकारी, मेडिकल कॉलेज या किसी बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और एडीएम रैंक का कोई अधिकारी नामित किया जाएगा। तीन लोगों की ये कमेटी ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी के बढ़ते संक्रमण की निगरानी करेगी। शिकायतों को दूर करेगी और स्थानीय प्रशासन व सरकार को अपने सुझाव देगी। अदालत ने सरकार से दो दिनों के भीतर कमेटी बनाने को कहा है।

इसके अलावा अदालत ने दवा व सही उपचार ना मिलने की कम्प्लेनों को दूर करने के लिए भी कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने सरकार से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा भी तलब किया है। अदालत ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की पीएचसी और सीएचसी में अब भी वायरस का उपचार की व्यवस्था नहीं है। इलाज के अभाव में लोगों की मौतें हो रही हैं। ग्रामीण इलाकों में पीड़ित लोग सीधे एसडीएम से शिकायत कर सकते हैं। एसडीएम इन कम्प्लेनों को खुद दूर करेंगे या कम्प्लेन समिति को भेजेंगे।

इन जनपदों का भी देना होगा ब्योरा

अदालत ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, श्रावस्ती और जौनपुर जनपदों में स्वास्थ सुविधाओं और कोरोना से निपटने के इंतजाम का ब्योरा पेश करने को भी कहा है। इन जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। अदालत ने सरकार से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में की गई टेस्टिंग का भिन्न-भिन्न ब्योरा पेश करने को भी कहा है।

कोर्ट ने इसके साथ ही अदालत के सिटिंग न्यायाधीश रहे जज वीके श्रीवास्तव की मौत के मामले में भी तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं। कमेटी को 2 हफ्ते में अपनी जांच पूरी कर कोर्ट को रिपोर्ट देनी होगी। कोर्ट कोरोना से जुड़े मामलों में 17 मई को फिर से सुनवाई करेगी। बता दें कि कोर्ट सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में ये पूरी सुनवाई हुई।

 

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