नई दिल्ली॥ यूरोपीय संघ (EU) ने यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से पेश CAA पर बहस व वोटिंग से अपने आपको अलग कर दिया है। यूरोपीय सन्घ के विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि यूरोपीय संघ में जो विचार व्यक्त किए जाते हैं या इसके सदस्य जो विचार सामने रखते हैं वह जरुरी नहीं है कि यूरोपीय संघ के अधिकारिक विचार हो।
यूरोपीय संघ ने 13 मार्च को ब्रूसेल्स में हिंदुस्तान और यूरोपीय संघ की 15 वीं बैठक का जिक्र करते हुए कहा है कि हिंदुस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जरुरी है। हिंदुस्तान के लिए ये भी बहुत राहत की बात है कि यूरोपीय संघ का एक प्रमुख देश फ्रांस भी उसके साथ आता दिख रहा है।
फ्रांस के नई दिल्ली स्थित दूतावास के कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, हमने पहले भी कहा है और आज फिर दोहरा रहे हैं कि नागरिकता कानून हिंदुस्तान का आन्तरिक कानूनी मामला मानता है और आगे हमारा जो भी कदम होगा इसी सोच के साथ होगा। फ्रांस EU के संस्थापक देशों में है और उसका खुल कर साथ मिलने से हिंदुस्तान के लिए यूरोपीय सन्सद के सदस्यों के सामने अपनी बात रखने में मजबूती आएगी।
यूरोपीय संघ के ऑफिशियल बयान और फ्रांस के साथ आने के बावजूद यूरोपीय संसद से जो सूचनाएं अभी तक आ रही है उसके मुताबिक वहां 29 जनवरी, 2020 को सीएए, एनआरसी व जम्मू व कश्मीर पर चर्चा होगी और 30 जनवरी, 2020 को इस पर वोटिंग भी होगी। यूरोपीय संसद के विभिन्न संसदीय दलों ने सीएए को लेकर छह प्रस्ताव सदन पटल पर रखे हैं। कमोबेश सभी प्रस्ताव हिंदुस्तान सरकार के सीएए को लेकर उठाये गये कदमों की निंदा करते हैं।