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चंद्रयान थ्री इस समय धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है। 1 अगस्त 2023 को लूनर ट्रांसफर ट्रांजिक्ट रिंग में डाला जाएगा। यानी चंद्रयान तीन लंबी यात्रा पर निकलेगा। करीब पांच दिन की यात्रा के बाद यानी 5 अगस्त को यह चंद्रमा की पहली बाहरी कक्षा में जाएगा। यानी लूनर बाउंड नैविगेशन शुरू होगा।

अब सवाल खड़ा होता है कि चंद्रयान तीन अपने रास्ते कैसे बना रहा है या उसे कैसे पता चल रहा है कि सही रास्ता कौन-सा है। क्योंकि चंद्रयान 3 में किसी तरह का जीपीएस सिस्टम नहीं लगा है, क्योंकि अंतरिक्ष में कोई भी जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता है तो सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट कैसे अपना रास्ता बनाते हैं। उन्हें कैसे पता होता है कि किस रास्ते पर जाना है। वहां तो कोई सड़क भी नहीं बनी है। ऐसे में स्पेसक्राफ्ट में लगे तार सेंसर्स  सहायता करते हैं।

वहीं चंद्रयान 3 में कई सारे कैमरे लगे हैं। स्टार सेंसर्स लगे हैं, जिसके माध्यम से वे अंतरिक्ष में दिशा पता करता है। इसके लिए वे ध्रूव तारा और सूरज की  सहायता लेता है। रात में ध्रुव तारा और दिन में सूरज के जरिए रास्ते का पता लगाता है।

दरअसल, पोलस्टार उत्तर की दिशा की ओर इशारा करता है। उसकी दूसरी साइड दक्षिण होगी। इसी तरह पूरब और पश्चिम का पता चलता है। आपको बता दें कि ध्रुव तारा सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष में भी यात्रा के लिए  सहायता करता है। यह अंतरिक्ष में पृथ्वी से दिखने वाला सबसे चमकता हुआ तारा है। इसके जरिए ही स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट यात्रा करते हैं।

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