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वैसे तो सभी लोग लोकसभा इलेक्शन में बिजी हैं पर ये गर्मी लोगों को प्यासा बनाने वाली है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट डराने वाली है और देशवासियों के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर ये गर्मी कैसे कटेगी. देश की 13 नदियों में पानी पूरी तरह खत्म हो गया है. जबकि गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, पेन्नार, नर्मदा, तापी, साबरमती, गोदावरी, महानदी, कावेरी का पानी बीते वर्ष की तुलना में तेजी से सूख रहा है।

सबसे ज्यादा टेंशन गंगा नदी ने दी है. ये नदी 11 राज्यों से होकर बहती है और अपने किनारे के 2.86 लाख गांवों को कृषि और पीने के लिए पानी की आपूर्ति करती है। भारत में नदियों और झीलों जैसे कुल 150 अहम जलाशय हैं। अब इन जलाशयों में केवल 36 फीसदी पानी ही बचा है. इनमें से 86 जलाशयों में 40 प्रतिशत पानी है। आयोग ने 28 मार्च का डेटा जारी किया है. इनमें से अधिकांश जलाशय दक्षिणी राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में स्थित हैं।

देश में नदियाँ न केवल लाइफ लाइन हैं बल्कि परिवहन और बिजली उत्पादन में भी सहायक हैं। ये नदियाँ सामाजिक और आर्थिक विकास का कारण बनती हैं। आयोग के पास देश के ऐसे 20 महत्वपूर्ण नदी बेसिनों का लाइव डेटा है। इनमें से 12 नदियों में पिछले साल की तुलना में कम पानी है। कावेरी, पेन्नार और कन्याकुमारी इलाकों में पूर्व की ओर बहने वाली नदियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

बता दें कि रुशिकुल्या, वराह, बहुदा, वंशधारा, नागवल्ली, सारदा, तांडव, एलुरु, गुंडालकम्मा, तमिलेरु, मुसी, पालेरु और मुनेरु नदियाँ सूख गई हैं। इन नदियों से 86,643 वर्ग किलोमीटर भूमि सिंचित होती है। आईआईटी गांधीनगर के अनुसार, कई इलाके भीषण सूखे से जूझ रहे हैं।

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