भारत में ये ना होता तो…कोरोना महामारी से नहीं मचती ऐसी तबाही, इन सबका जिम्मदेार कौन?

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प्रतिदिन 4 लाख से अधिक नए केस, 4 हजार से अधिक मौतें…कोरोना इंडिया की सबसे बड़ी त्रासदी है। जैसा हाल कोविड-19 पीरियड में हुआ, वैसा कभी नहीं देखा। एक-एक सांस के लिए मोहताज, हॉस्पिटल में बेड के लिए हाथ जोड़कर गुहार। एक वायरस ने कैसे पूरे स्वास्थ्य तंत्र को भीतर तक झकझोर कर रख दिया। पहली लहर के दौरान तो फिर भी हालात काबू हो गए, किंतु इस दूसरी सुनामी ने सब पर पानी फेर दिया। देश के स्वास्थ्य प्रशासन पर सवाल उठे, सरकार पर प्रश्न उठे, लापरवाह भीड़ के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए ये भी प्रश्नों के घेरे में है।

Oxygen deficiency death

किंतु फिर भी हमारे देश, हमारी सरकार ने कई ऐसी गलतियां की हैं जो यदि ना होतीं तो दूसरी लहर से ऐसी तबाही कभी नहीं मचती। एक नजर ये ना होता तो’ वाली घटनाओं पर।

ये ना होता तो…

महामारी में चुनाव- ये इंडिया की खूबसूरती कही जा सकती है जहां पर कोरोना का डर तो था, फिर भी वक्त पर चुनाव कराने को अहमियत दी गई। इलेक्शन के सामने कोरोना के बढ़ते मामलों को अलग कर दिया गया। पिछले साल बिहार चुनाव को भी कोरोना की पहली लहर के दौरान ही अंजाम दिया गया था। किंतु तब स्थिति काबू में रही, तो सभी को लगा कि इंडिया ने कुछ कमाल कर दिया है। इसे देखते हुए वायरस को दोबारा न्योता दे दिया गया। वो भी पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी के जरिए, तो ऐसा विस्फोट हुआ कि सभी दलों की हार-जीत पीछे छूट गई और दिखाई पड़ा तो केवल बर्बादी का मंजर।

कोरोना काल में होली का जश्न

पर्व होली पर तो वायरस ने बीते वर्ष भी ग्रहण लगाया था, किंतु तब लोगों के भीतर एक भय था। उस डर की वजह से कहीं भी होली का बड़ा जश्न देखने को नहीं मिला। अब 2021 की होली में कोरोना के मामले तो बढ़ने शुरू हुए, किंतु लोगों का डर गायब था। असम की होली ले लीजिए, या फिर बात हो मथुरा की, सब जगह सामाजिक दूरी सहित कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ीं और रंगों के त्योहार में वायरस का रंग मिल गया।

महामारी में कुंभ का आयोजन

सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान कुंभ आयोजन पर रोक लगा दी थी, किंतु इस साल जब मामले रिकॉर्डतोड़ थे, तब ऐसा कुछ नहीं हुआ। सीएम तीरथ सिंह रावत ने तो यहां तक कह दिया कि मां गंगा की कृपा से कुंभ में कोरोना नहीं फैलेगा। किंतु कोरोना फैला और इस स्तर पर फैला कि अप्रैल महीने में राज्य में हर सवा मिनट पर एक शख्स संक्रमित निकला। हिंदू की एक खबर के मुताबिक अप्रैल 10 से 14 के बीच कुंभ आयोजन के दौरान 2,36,751 कोरोना टेस्ट किए गए थे। उसमें से भी 1700 लोगो पॉजिटिव पाए गए। किंतु फिर भी कुंभ जारी रहा और आस्था के साथ कोरोना की डुबकी लगती रही।

ये ना होता तो…महामारी में पंचायत चुनाव

भारतीय पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि देश को किसी भी स्थिति में कोरोना को गांव में फैलने से रोकना होगा। किंतु फिर भी देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में पंचायत चुनाव हुए। इससे यूपी के कई गांव तक तो महामारी ने दस्तक दी ही, वहीं उस चुनाव में ड्यूटी देने आए कई अफसरों की भी जान पर बन आई। उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठन ने दावा किया था कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान 577 बेसिक शिक्षकों की जान कोरोना संक्रमण की वजह से चली गई। अदालत की ओर से चुनाव आयोग को फटकार भी पड़ी, किंतु नतीजा कुछ नहीं निकला और अब यूपी में कोरोना गांव तक पैर पसार चुका है।

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