फेफड़ों की टीबी के साथ ही एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी भी लोगों के स्वस्थ्य को प्रभावित कर रही है। औरैया में सन् 2022 के आंकड़ों को देखें तो 1657 एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से पीड़ित कई लोग मिले। नियमित इलाज से मरीजों को इस रोग से निजात मिल रही है।
टीबी रोग अफसर डॉ. संत कुमार ने बताया कि फेफड़े की टीबी को पल्मोनरी और बदन के अन्य हिस्से की टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। टीबी के रोगियों में लगभग 70 प्रतिशत में पल्मोनरी और 30 % में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी होती है।
इस बीमारी से पीड़ित रोगियों से दूसरों को खतरा कम होता है, जबकि पल्मोनरी टीबी दूसरों को अधिक खतरनाक हो सकता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी जिसे होता है, उसे सूजन, दर्द, हल्का बुखार, रात में पसीना, भूख नहीं लगती है।
फेफड़ों की टीबी की पहचान
- अगर पीड़ित के लिम्फ ग्रंथि में टीबी के जीवाणु हैं तो रोगी की लिम्फ ग्रंथि फूल जाएगी और दर्द होगा।
- हड्डियों और जोड़ों के टीबी में, रोगी को उस जगह पर तेज दर्द और सूजन हो जाती है।
- मस्तिष्क टीबी में कई प्रकार के लक्षण होते हैं, जिसमें दोहरी दृष्टि, भ्रम शामिल हैं। पीड़ित को सिरदर्द की शिकायत भी हो सकती है।
- पेट में टीबी होने पर पीड़ितो को दर्द और पाचन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- मूत्रदान में दर्द महसूस होती है।
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