आयुर्वेद में त्रिदोषों को शारीरिक रोगों का महत्वपूर्ण कारक माना गया है। त्रिदोष वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण होता है। यदि मौसम के अनुसार खान-पान में बदलाव नहीं किया गया तो यह असंतुलन और भी बढ़ जाता है।
उदाहरण के लिए ठंडक के मौसम में पित्त दोष कम होता है किंतु कफ दोष बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। किंतु आयुर्वेद के कुछ असरदार उपायों को अपनाकर आप ठंडक में अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। आईये जानें हैं कैसे
ठंडक में सर्दी लगना आम बात है। यदि गले में खराश और जुकाम आदि की समस्या है तो 1 चम्मच अदरक में थोड़ा सा शहद और काली मिर्च पाउडर मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर इस मिश्रण को आधा सुबह और आधा रात को सोते वक्त खाएं। इससे राहत मिलेगी। आप चाहें तो दोनों को फिलहाल के लिए तुरंत तैयार किया जा सकता है।
ठंडक में आग तेज रहती है और कई बार ज्यादा खाने से गैस व कब्ज की समस्या हो जाती है। ऐसे में सीने में जलन या एसिडिटी होने पर आधा कप ठंडे दूध में आधा कप पानी मिलाकर रात्रइ को सोते वक्त पीने से गैस की समस्या दूर हो जाती है।