अफगानिस्तान पर मिसाइलों की बारिश, तालिबान के खिलाफ मुस्लिम देश ने छेड़ी जंग

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दुनिया में अचानक एक नया विवाद शुरू हो गया है। इसमें एक तरफ खतरनाक तालिबानी लड़ाके हैं तो दूसरी तरफ ईरान की सेना, जो अमेरिका और इजरायल जैसे मुल्कों से युद्ध लड़ने में खुद को सक्षम बताती है।

फिलहाल भारी हथियारों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है, मगर तालिबानी नेता जरूर अभी युद्ध पर मंथन कर रहे हैं। तालिबानी कमांडर ने युद्ध का ऐलान कर दिया है। दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही है और दोनों तरफ से मौतों का भी आलम है।

अफगानिस्तान में फिर गोलियों गूंज रही हैं। तालिबानी लड़ाके एक बार फिर खून बहाने पर आमादा हैं। तालिबानी इस बार ईरान के बॉर्डर पार कर चुके हैं और ईरान की सेना पर गोलियां बरसा रहे हैं। बारुदी शोर के बीच खून भी बह रहा है। दोनों तरफ से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। खून बहाने की नौबत पानी की वजह से आई है।

ईरान ने आर्टिलरी और ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। तालिबान के कई इलाकों पर गोलीबारी की गई है। सबसे ज्यादा धमाके अफगानिस्तान के रूस में हुए हैं। ईरान ने 11 तालिबानी लड़ाकों के मारे जाने का दावा किया है। तालिबान की तरफ से भी कई वीडियो जारी किए गए हैं। वीडियो में तालिबानी लड़ाके ईरान बॉर्डर की तरफ जाते दिख रहे हैं। अब दोनों देशों के बीच विवाद की वजह समझिए।

जानें क्यों शुरू हुआ ये विवाद

ईरान और अफगानिस्तान के बीच 1973 में जल संधि हुई थी। इसके तहत अफगानिस्तान को प्रतिवर्ष ईरान को 820 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना है। ट्रीटी के तहत अफगानिस्तान सरकार बांध बनाने पर जोर देती रही है। ईरान का आरोप है कि अफगानिस्तान उसे तय मानक से कम पानी सप्लाई कर रहा है। अफगानिस्तान ने इसके लिए नदी में जल स्तर कम होने का तर्क दिया है। 

ईरान में बेहद कम बारिश हो रही है जिसकी वजह से हेलमंद नदी का पानी इरान के लिए बेहद अहम है। हालांकि हथियार और आंकड़ों के मुताबिक ईरानी सेना तालिबानी फोर्थ से ज्यादा ताकतवर है। ईरान के पास कितने घातक ड्रोन यूक्रेन में देखा जा चुका है? अगर ईरान ने तालिबान को सबक सिखाने के लिए मिसाइल या कामयाब ड्रोन का इस्तेमाल किया तो फिर भयंकर तबाही आ सकती है। 

दूसरी तरफ तालिबान की बेलगाम सेना है, जो कुछ भी करने को आमादा रहती है। तालिबानियों के पास अमेरिका के हथियार हैं, जिससे ईरान को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इन दोनों देशों के बीच सुलह का रास्ता कौन निकालेगा ये भी एक बड़ा सवाल है। 

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