मैं धैर्य हूँ ,संतुलन हूँ ,समृद्धि हूँ ,शांति हूँ
अपने वास्तल्य को आँचल में छुपाये
सुमेरु पर्वत सी विशाल हूँ
हाँ मैं नारी हूँ , मैं नारी हूँ
मैं संस्कार हूँ ,संस्कृति हूँ, ममता हूँ ,दया हूँ
मैं क्षमा हूँ ,क्रोध हूँ ,विनाश हूँ मैं यमराज पर भारी सती सावित्री हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, मैं नारी
मैं भोर की पहली किरण हूँ,
तपती धूप में ममता रूपी छाया हूँ
मैं पवन का सुगंधित झोका हूँ
मैं कवियों की कविताओं में श्रृंगार रस हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ
मैं दुर्गा पूजा की प्रतिमा को बनाने वाली वैश्या के आंगन की मिट्टी हूँ
तो कही मर्यादाओं का दामन थामे पतिव्रता सती अनुसुइया भी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ
मैं शिव के धनुष की प्रत्यंचा हूँ
मैं द्रोपदी के खुले केश हूँ
मैं पदमावती के जौहर की धधकती हुई ज्वाला हूँ
मैं हर नारी के गौरव का प्रतीक हूँ
हाँ मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ
मैं गोस्वामी तुलसीदास की प्रेरणा हूँ
उनके ह्रदय में राम नाम को जगाने वाली रत्नावली हूँ
मैं कालिदास की रचनाओं में उनकी पथप्रदर्शक विद्योत्तमा हूँ
हाँ मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ
मैं माँ हूँ, पत्नी हूँ,बेटी हूँ
मै दुर्गा हूँ,काली हूँ,सीता हूँ
मैं सत्य मार्ग दिखलाने वाली
रामायण और गीता हूँ
हाँ मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ
मैं चट्टान की तरह मजबूत हूँ पर्वत की तरह विशाल हूँ
मैं इस संसार की नस्लों को आगे बढ़ने वाली
ममतामयी जननी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ .
क्षमा दीक्षित/राजीव दीक्षित – लखनऊ
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