लाहौर ।। विश्व भर में कश्मीर मसले पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में जुटे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी डगमगाती दिखाई दे रही। एक तरफ सेनाध्यक्ष, अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर जाते हुए, अर्थव्यवस्था को काबू में लाने के लिए कारोबारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं, दूसरी तरफ चरमपंथी नेता फजलुर रहमान भी अब उनके खिलाफ मैदान में उतर आए हैं।
एक समय था, जब इमरान खान, सेना और चरमपंथी नेताओं से सहयोग से ही देश की सत्ता पर काबिज हुए थे, लेकिन अब ये दोनों ही उनकी राह के कांटे साबित हो रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान ने आजादी मार्च का ऐलान कर उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
हालांकि इमरान खान भारत विरोधी बयानों और कश्मीर राग के जरिए जनता का ध्यान बांटने में लगे हुए हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख फजलुर रहमान ने अपने ‘आजादी’ मार्च को सरकार के खिलाफ ‘जंग’ करार दिया। उन्होंने कहा यह तब तक समाप्त नहीं होगा, जबतक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता। उन्होंने पेशावर में कहा पूरा देश हमारा युद्धक्षेत्र (वॉरजोन) होगा।
रहमान ने 27 अक्टूबर को राजधानी इस्लामाबाद में ‘आजादी’ मार्च का ऐलान किया है। यही नहीं इमरान खान को कड़ी चेतावनी देते हुए फजलुर रहमान ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कि सरकार गिर नहीं जाती। हाल ही में आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने कारोबारियों के साथ बैठक की थी। आजादी मार्च ने इमरान के संकट को बढ़ा दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर स्वदेश लौटे इमरान का जिस तरह देश में भव्य स्वागत हुआ था, वह 24 घंटे भी नहीं टिक पाया। देश की खस्ता अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से घिरे इमरान को अब कुछ सूझ नहीं रहा है, तो संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद भी कश्मीर राग ही अलाप रहे हैं। वहीं सेना प्रमुख और चरमपंथी मौलाना फजलुर रहमान ने जमीनी हालात को समझते हुए अपनी योजनाओं को खुलासा कर दिया है।