आने वाले दस सालों में दिखेगा, नई शिक्षा नीति का परिणाम, जाने…

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति में जो विजन दिखाया है, उसका परिणाम अगले दस सालों में दिखेगा। इसमें 2030 तक स्कूली शिक्षा में सौ फीसदी जीईआर के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है। स्कूल से दूर रह रहे, दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा।
                 
बता दें यह विचार देश के जाने माने विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपतियों और वर्तमान कुलपतियों के हैं। शिक्षाविद कुलपति रविवार को शिक्षक शिक्षा केंद्र, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, काशी प्रान्त के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आत्मनिर्भर भारत’ विषयक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
संगोष्ठी में मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. संजय देशमुख ने बतौर मुख्य वक्ता कहा, कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य ही आत्मनिर्भर अभियान को बढ़ावा देना है। नई शिक्षा नीति से सही मायने में भारतीय परम्परा को बढ़ावा मिलेगा। उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। यह नई शिक्षा नीति 34 साल के बाद आई है।
गोष्ठी में कुलपति, हेमवती नंदनबहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, उत्तराखंड प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि नई शिक्षा निती से शिक्षा की नींव मजबूत होगी और भवन भी बुलन्द होगा। इसमें बच्चों से लेकर युवाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। नई नीति से शिक्षित बेरोजगारों की बढ़ती संख्या पर रोक लगेगी। शिक्षा के नींव में सुधार से शैक्षणिक ढांचा विकसित होगा। उन्होंने कहा कि पहले विश्वविद्यालय के शैक्षिक गुणवत्ता का आंकलन इस बात से होता था कि यहां से कितने छात्र आइएएस और न्यायिक और अन्य प्रशासनिक सेवाओं में चयनीत हुए। नई शिक्षा निती स्किल मैपिंग पर खासा जोर देती है। इसमें अध्यापकों की भूमिका भी देश के निर्माण में महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति से जड़ता समाप्त होगी। मस्तिष्क को उर्जावान बनाने के साथ नये विचार नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई गई है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय, पंजाब प्रो. आर.पी. तिवारी ने नई शिक्षा नीति पर विहंगम रूप से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ पद्मश्री प्रो. गेशे नवांग सामतेन ने की। उन्होंने कहा कि देर से आये दुरुस्त आये। नई शिक्षा नीति से स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक में बदलाव दिखेगा। गोष्ठी का संचालन निदेशक शिक्षक शिक्षा केंद्र हिमांशु पांडेय और डॉ.इन्द्रजीत सिंह ने किया।
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