Brahmin Chief Minister से गैर कांग्रेसी पार्टियों को यूपी में परहेज, फिर भी प्रतिष्ठा देने की होड़

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब है और ब्राह्मणों को सत्ता की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी और सीढ़ी मानते हुए सियासी पार्टियों में उन्हें (Brahmin Chief Minister) प्रतिष्ठा देने की होड़ लगी है। बीएसपी 23 जुलाई को अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है। सपा पहले ही राजधानी में भगवान परशुराम की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा कर चुकी है। कांग्रेस भी ब्राह्मणों का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। सत्तारूढ़ बीजेपी ब्राह्मणों की नाराज़गी दूर कर डैमेज कंट्रोल में लगी है। हालांकि, विप्र पूजा के बावजूद कोई भी दल किसी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाने को तैयार नहीं नजर आ रहा है। ऐसे में बुद्धिजीवी ब्राह्मण वर्ग भी फिलहाल मौन धारण किये हुए है।

Akhilesh-Yogi-Mayawati- Brahmin Chief Minister

ब्राह्मण समाज (Brahmin Chief Minister) का सबसे शिक्षित वर्ग माना जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद सता संचालन में ब्राह्मण वर्ग अग्रणी रहा है। एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की तादाद 11 से 12 फीसदी है। इसके अलावा ब्राह्मण अपने साथ दूसरे वरह के लोगों को भी लेकर आता है। यह बात भी माना जाता है कि ब्राह्मण वर्ग जिसके साथ भी जाता है उसके पक्ष में माहौल क्रिएट होता है और समाज के कई वर्ग खासतौर से मुस्लिम आदि भी उसके साथ ध्रुवीकृत हो जाते हैं। एक बात और अहम है, कि ब्राह्मण वर्ग जिस पार्टी का समर्थन करता है उस पार्टी की सरकार बनने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

Pramod Tiwari- Brahmin Chief Minister

यह सही है कि प्रदेश का ब्राह्मण वर्ग योगी सरकार से नाराज है। उसे लगता है कि बीजेपी को भारी समर्थन के बावजूद वह उपेक्षित है। कानपुर में विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर के अलावा भी कई ब्राह्मणों का एनकाउंटर हुआ। इसके बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी करार देना शुरू कर दिया। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी भी मुखर हुई थी। अब यूपी विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस एक बार फिर ब्राह्मणों (Brahmin Chief Minister) को तरजीह दे रही है।

Bhagwan Parshuram - Brahmin Chief Minister

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि ब्राह्मण बीजेपी से नाराज़ तो हैं और विकल्प की तलाश में भी हैं, लेकिन लेकिन यह नाराज़गी इस हद तक भी नहीं है कि ब्राह्मण मतदाता बीजेपी को हराने के लिए किसी पार्टी के साथ लामबंद हो जाएगा। बतौर सिद्धार्थ कलहंस बीजेपी ब्राह्मणों की नाराज़गी दूर करने में लगी जरूर है, लेकिन यह काम बेहद कठिन है। (Brahmin Chief Minister)

एक बात और अहम है कि बीजेपी, बीएसपी और एसपी में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम पहले से तय है। बीजेपी दोबारा योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश कर मतदाताओं से समर्थन मांगेगी। यह भी अहम है कि एक भी बीजेपी शासित राज्य में ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं है। इसी तरह यदि बीएसपी जीतती है तो मायावती और एसपी जीतती है तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। हां कांग्रेस में जरूर किसी ब्राह्मण के मुख्यमंत्री (Brahmin Chief Minister) बनने की संभावना बरकरार है, लेकिन कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी उसके सत्ता में आने की संभावनाओं को धूमिल करती है।

फिलहाल यूपी का ब्राह्मण वर्ग हालातों को परख रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले कोरोना महामारी की तीसरी लहर आनी तय है। उसके बाद हालात तेजी से बदल सकते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मणों के रुझान का अनुमान लगाया जा सकेगा। हालांकि पुरानी उक्ति है कि विप्र मन को विधाता भी नहीं बांच पाता है। (Brahmin Chief Minister)

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