किस देश में पूर्व चीफ जस्टिस को ही कारावास की सजा दी गई है

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ढाका: बांग्लादेश की एक अदालत ने मनी लांड्रिंग और विश्वास भंग मामले में देश के पूर्व चीफ जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा को उनकी अनुपस्थिति में 11 साल के कारावास की सजा सुनाई है. सुरेंद्र कुमार सिन्हा देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से पहले चीफ जस्टिस बने थे.

ढाका (Dhaka) के स्पेशल मजिस्ट्रेट शेख नजमुल आलम ने पूर्व चीफ जस्टिस को मनी लांड्रिंग के तथाकथित अपराध में 7 साल और आपराधिक विश्वास भंग के अपराध में 4 साल के कारावास की सजा सुनाई. दोनों सजाएं साथ साथ चलेंगी. सुरेंद्र कुमार सिन्हा (70) अभी अमेरिका में रह रहे हैं.

अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘जस्टिस सिन्हा मनी लांड्रिंग से लाभ हासिल करने वालों में समान रूप से शामिल हैं. ’ जस्टिस सिन्हा ने फार्मर्स बैंक ,जिसे अब पद्म बैंक कहा जाता है, से 4 लाख 70 हजार अमेरिकी डॉलर का लोन लिया. इसके बाद उसे पे-आर्डर के जरिए सिन्हा के निजी खाते में डाल दिया गया. आरोप है कि जस्टिस सिन्हा ने नकद, चेक और पे-आर्डर के जरिए यह राशि दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी. ऐसा करना बांग्लादेश के भ्रष्टचार रोकथाम अधिनियम और धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है ..

कोर्ट ने इस मामले में दस अन्य में से मोहम्मद शाहजां और निरंजन चंद्र साहा को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उनके विरूद्ध आरोप साबित नहीं किए जा सके. बाकी 7 आरोपियों को अलग अलग अवधि की सजा सुनाई गई और जुर्माना लगाया गया.
जस्टिस सिन्हा जनवरी 2015 से नवंबर 2017 तक देश के 21वें प्रधान न्यायाधीश थे. सरकार ने उन पर भ्रष्टाचार में शामिल रहने का आरोप लगाया था. जस्टिस सिन्हा ने 4 साल पहले विदेश यात्रा के दौरान अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें इस्तीफा के लिए बाध्य किया गया क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश के वर्तमान ‘अलोकतांत्रिक’ एवं ‘निरंकुश’ शसन का विरोध किया था .कोर्ट के फैसले को भी उन्होंने गैरकानूनी कहा है.

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