1.14 लाख कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, मोदी सरकार ने बढ़ाया वेतन

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अप्रैल का महीना LIC के 1.14 लाख कर्मचारियों के लिए खुशखबरी लेकर आया है। सरकार ने LIC कर्मचारियों की वेतन में इजाफा करने के साथ ही हफ्ते में पांच दिन के कार्यदिवस की भी मंजूरी दे दी है। मतलब अब LIC कर्मचारी सोमवार से शुक्रवार तक ही काम करेंगे। शनिवार और रविवार की उनकी छुट्टी रहेगी।

Unemployment money in account

वेतन में बढ़ोतरी और पांच दिन के कार्यदिवस को वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाओं के विभाग ने मंजूरी दे दी है। कर्मचारियों के वेतन की बढ़ोतरी 1 जनवरी 2017 से प्रभावी होगी। सरकार के इस फैसले से LIC के 1.14 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। सप्ताह में 5 दिन काम का फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। LIC के कर्मचारी संगठन लंबे समय से सप्ताह में 5 दिन के कार्यदिवस की मांग कर रहे थे।

खबर के मुताबिक वित्तीय सेवाओं के विभाग ने LIC कर्मचारियों के लिए 1500 रुपये से लेकर 13500 रुपये तक प्रति माह अतिरिक्त स्पेशल अलाउंस पेश किया है। ये अलाउंस सभी कैडर के कर्मचारियों को मिलेगा। इस अलाउंस को डियरनेस अलाउंस (डीए) के कैलकुलेशन के लिए पेश किया गया है। लेकिन इसको सिटी कंपनसेटरी अलाउंस (सीसीए), ग्रेच्युटी, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), पेड लीव एनकैशमेंट और सुपर एनुऐशन बेनेफिट के तौर पर नहीं माना जाएगा।

LIC में आमतौर पर प्रत्येक पांच साल के बाद वेतन में बढ़ोतरी की जाती है। इससे पहले पिछली बढ़ोतरी नौ साल पहले 2012 में की गई थी। उसके बाद 2017 से ही वेतन की बढ़ोतरी का इंतजार किया जा रहा था। इस लंबे इंतजार की वजह से कर्मचारी संगठन वेतन में कम से कम 35 फीसदी की बढ़ोतरी करने की मांग कर रहे थे, लेकिन बढ़ोतरी सिर्फ 16 फीसदी की ही हुई है। हालांकि राहत की बात ये है कि ये बढ़ोतरी जनवरी 2017 से ही प्रभावी हो रही है, इसलिए कर्मचारी संगठनों को उम्मीद है कि 2022 में एक बार फिर अगली बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकेगी।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार शेयर बाजार के जरिये LIC से अपनी हिस्सेदारी कम करने का ऐलान कर चुकी है। इसके लिए LIC का आईपीओ लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। 1 फरवरी को बजट पेश करते वक्त केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि शेयर बाजार में LIC को अगले वित्त वर्ष के दौरान लिस्ट किया जा सकता है। केंद्र को LIC के आईपीओ से करीब 1 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करने के पहले वेतन वृद्धि के मामले को अपडेट कर लेना चाहती है, ताकि आईपीओ लाते वक्त कर्मचारी संगठनों की ओर से अधिक प्रतिरोध का सामना न करना पड़े।

 

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