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india canada ties: आरोपों के सिलसिले के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने "खालिस्तान" के मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है। विदेशी हस्तक्षेप आयोग में ट्रूडो ने कहा कि उनका रुख साफ है और वो है 'एक भारत'। उन्होंने कहा कि कनाडा में ऐसे कई लोग हैं जो इसके विपरीत वकालत करते हैं मगर ये कनाडा की नीति नहीं है।

ट्रूडो ने बुधवार को आयोग को बताया, "मेरा और कनाडा का रुख हमेशा से भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का रहा है। 'एक भारत' कनाडा की आधिकारिक नीति है और ये तथ्य कि कनाडा में कई लोग इसके विपरीत वकालत करते हैं, ये कनाडाई नीति नहीं है, मगर ये कनाडा में इसे गैरकानूनी भी नहीं बनाता है।"

ट्रूडो ने कहा, "हम ऐसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के साथ झगड़ा करने की स्थिति में नहीं रहना चाहते, जिसके साथ हमारे गहरे संबंध हैं, लंबा इतिहास है और जिसके साथ हमारे लोकतंत्र हैं।" ट्रूडो के "निराधार" बयानों ने भारत-कनाडा संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।

भारत-कनाडा तनाव

भारत और कनाडा के बीच तनाव तब बढ़ गया जब ट्रूडो ने आरोप लगाया कि जून में कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों के शामिल होने के "विश्वसनीय आरोप" हैं, जो "खालिस्तान" नामक एक स्वतंत्र सिख मातृभूमि के निर्माण के लिए अभियान चला रहे थे।

खालिस्तानी आंदोलन क्या है?

ये भारत से अलग होकर एक स्वतंत्र सिख राज्य चाहता है, और इसकी शुरुआत 1947 में भारत और पाकिस्तान की स्वतंत्रता के समय से हुई है, जब दो नए देशों के बीच पंजाब क्षेत्र के विभाजन से पहले बातचीत में इस विचार को आगे बढ़ाया गया था।

सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी के अंत में पंजाब में हुई थी और वर्तमान में दुनिया भर में इसके लगभग 25 मिलियन अनुयायी हैं। सिख पंजाब की आबादी का बहुमत बनाते हैं, मगर भारत में वे अल्पसंख्यक हैं, जिनकी आबादी 1.4 बिलियन में 2 प्रतिशत है।

सिख अलगाववादियों की मांग है कि उनकी मातृभूमि खालिस्तान, जिसका अर्थ है "पवित्र भूमि", पंजाब से अलग बनाई जाए। ये मांग कई बार फिर से उठी है, सबसे ज़्यादा 1970 और 1980 के दशक में हिंसक विद्रोह के दौरान, जिसने एक दशक से ज़्यादा समय तक पंजाब को पंगु बना दिया था।

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