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India China Deal: भारत के खिलाफ चीन की रणनीतिक चालें निरंतर विकसित हो रही हैं, जिसमें सबसे ताजा घटनाक्रम ब्रह्मपुत्र नदी पर केंद्रित है। सरहद पर असफलताओं के बाद, चीन अब कथित तौर पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना तैयार कर रहा है जो संभावित रूप से भारत में विनाशकारी बाढ़ ला सकती है। ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान (एएसपीआई) ने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के एक सुपर बांध के निर्माण के बारे में चिंता जताई है।

एएसपीआई रिपोर्ट में क्या कहा गया?

एएसपीआई रिपोर्ट में चीन की योजनाओं के बारे में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को बताया गया है:

बांध का स्थान: चीन ब्रह्मपुत्र नदी के सबसे बड़े मोड़ पर, जहां नदी मुड़ती है, बांध का निर्माण करना चाहता है।

भौगोलिक संदर्भ: अरुणाचल प्रदेश पहुंचने से पहले ब्रह्मपुत्र नदी इस स्थान पर 3000 मीटर नीचे घाटी में उतरती है।

परियोजना का पैमाना: चीन का दावा है कि यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली जलविद्युत परियोजना होगी, जिससे इसे "सुपर बांध" का खिताब मिलेगा।

2002 ब्रह्मपुत्र नदी समझौता क्या है

  • ब्रह्मपुत्र नदी के संबंध में भारत और चीन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता है।
  • 2002 में हस्ताक्षरित इस समझौते के तहत चीन को ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में अलग अलग तरह की जानकारी भारत के साथ साझा करनी होगी। कई वर्षों के बाद इस सौदे को 2008, 2013 और 2018 में पांच-पांच साल के लिए नवीनीकृत किया गया।
  • वर्तमान में ये समझौता 2023 में समाप्त हो गया है, और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण इसे दोहराया नहीं गया है।

भारत के लिए संभावित खतरे क्या

इस बांध के निर्माण से भारत को बहुत बड़ा खतरा है। यदि चीन बांध से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ता है, तो इससे अरुणाचल प्रदेश में भयंकर बाढ़ आ सकती है। "बांध बम" के फटने की संभावना से भारत को बहुत नुकसान हो सकता है। एएसपीआई रिपोर्ट बताती है कि यह कदम अरुणाचल प्रदेश सीमा पर चीन की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

चीन का बांध भारतीय सरहद से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे उसे किसी भी समय "वॉटर बम" के रूप में भारी मात्रा में पानी छोड़ने की क्षमता मिलती है। इससे असम और अरुणाचल प्रदेश में भयंकर विनाश हो सकता है, जिससे निचले इलाकों के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है। 

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