भारत ने रचा इतिहास, विश्व का छठा ऐसा देश जो लड़ाकू विमान के साथ कर सकता है ये काम

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भारत दुनियाभर में एक ऐसा मुल्क है कि जो लगातार तरक्की की राह पर बढ़ रहा है. आपको बता दें कि एक बार फिर भारत ने इतिहास रच दिया है. जिससे हर एक भारतीय को गर्व का एहसास होगा। तो चलिए आपको बताते है वो काम. बता दें कि आईएनएस विक्रमादित्य पर तेजस लडा़कू विमान की लैंडिंग के साथ ही भारत जंगी जहाज पर उतरने में सक्षम विमान तैयार करने वाला दुनिया का छठा देश बन गया है।

आपको बता दें कि इससे पहले अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन यह उपलब्धि दर्ज कर चुके हैं। वहीँ इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि डीआरडीओ के बनाए एलसीए तेजस की आईएनएस विक्रमादित्य पर पहली लैंडिंग के बारे में जानकर बेहद खुशी हुई। यह लैंडिंग भारतीय लड़ाकू विमान विकास कार्यक्रम के इतिहास में शानदार घटना है।

ज्ञात हो कि एकल इंजन वाला तेजस जल्द सेवानिवृत्त हो रहे मिग-21 की जगह लेगा। बढ़े हादसों के चलते मिग-21 उड़ते ताबूत कहलाने लगे हैं। फ्रांस से मिले राफेल और रूस के सहयोग से निर्मित सुखोई सू-30 एमकेआई के साथ तेजस भारतीय वायुसेना की ताकत बनेगा।

अटल ने किया नामकरण
1990 के दशक में भारत ने मिग-21 के विकल्प के तौर पर हल्के युद्धक विमान (एलसीए) का निर्माण शुरू कर दिया था। 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एलसीए को तेजस नाम दिया। तेजस एक संस्कृत शब्द है, जिसका हिंदी अर्थ अत्यधिक शक्तिशाली ऊर्जा होता है।

तेजस : एक नजर
लंबाई 43.4 फीट और चौड़ाई 26.1 फीट
ऊंचाई 14.9 फीट और वजन (हथियार सहित) 9800 किलोग्राम
अधिकतम टेकऑफ भार : 13.5 हजार किलोग्राम
निर्माण लागत : 463 करोड़ रुपए प्रति विमान (करीब)

खूबी
2222किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम।
3000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है एक बार उड़ने पर।

खासियत
हवा से हवा में मार करने वाली छह तरह की मिसाइल की तैनाती मुमकिन।
इनमें डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम और मीटियोर-2 शामिल।
हवा से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस और जहाज रोधी मिसाइल भी दाग सकता है।
लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर हथियारों के जरिये हमला करने की कूव्वत।

सफरनामा
4 जनवरी 2001 को पहली उड़ान भरी थी।
17 जनवरी 2015 को वायुसेना में शामिल किया गया।

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