मोदी सरकार ने अनौपचारिक रूप से सभी एयरलाइंस से कहा है कि वे चीनी नागरिकों को लेकर हिंदुस्तान न आएं। चीन ने अपने यहां इंडियन्स के प्रवेश पर रोक लगाई थी जिसके बाद जवाबी कार्रवाई के तहत ये कदम उठाया गया। बीते करीब एक हफ्ते से, हिंदुस्तानी और विदेशी एयरलाइंस को साफ तौर पर कहा जा रहा है कि वे चीनी नागरिकों को लेकर न आएं।
फिलहाल पर्यटक वीजा जारी नहीं किए जा रहे लेकिन विदेशियों को कार्य और कुछ अन्य कैटेगरीज में नॉन-टूरिस्ट वीजा पर आने की अनुमति है। खबर है कि कुछ एयरलाइंस ने अधिकारियों से लिखित में ऐसे निर्देश मांगे हैं ताकि वे हिंदुस्तान के लिए फ्लाइट बुक करा चुके चीनी नागरिकों को बोर्डिंग से इंकार करते समय वजह बता सकें।
दोनों मुल्कों के मध्य अभी उड़ानें स्थगित हैं किंतु विदेशियों के लिए यात्रा के वर्तमान नियमों के तहत, चीनी नागरिक पहले किसी तीसरे देश जाते थे जिसके साथ हिंदुस्तान का ट्रेवल बबल है। फिर वहां से वे हिंदुस्तान की उड़ान भरते थे। इसके अलावा, एयर बबल वाले देशों में रह रहे चीनी नागरिक भी काम-धंधे के सिलसिले में वहां से हिंदुस्तान आते रहे हैं। इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि हिंदुस्तान आने वाले अधिकतर चीनी नागरिक यूरोप के एयर बबल वाले देशों से आ रहे हैं।
हिंदुस्तान ने ये कदम चीन के अकड़ दिखाने के बाद उठाया है। वहां के कई बंदरगाहों पर करीब डेढ़ हजार हिंदुस्तानी फंसे हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाजों पर काम करने वाले ये हिंदुस्तानीय इस वजह से वतन नहीं लौट पा रहे क्योंकि चीन उन्हें इजाजत नहीं दे रहा। न ही विमान का क्रू बदलने दिया जा रहा है। चीन के इस कदम का मकसद ऑस्ट्रेलिया को परेशान करना है क्योंकि वहां का कोयला चीन ने बैन कर दिया है। किंतु इसकी चपेट में हिंदुस्तानी आ गए हैं और चीन किसी फौरी राहत देने के मूड में नहीं दिखता।