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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में देश की अर्थव्यवस्था से एक बहुत ही अहम बात सामने आई है. भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि हमारे देश को अपनी बड़ी युवा आबादी का पूरा फायदा उठाने के लिए हर साल कम से कम 80 लाख (यानी 8 मिलियन) नई नौकरियां पैदा करने की ज़रूरत है. उनका कहना है कि अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो ही हमारा देश अपनी 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' यानी युवा जनसंख्या के लाभ को सही मायनों में भुना पाएगा.

युवाओं के लिए 80 लाख नौकरियां क्यों हैं जरूरी?

हम सभी जानते हैं कि भारत एक युवा देश है, जहाँ काम करने वाली उम्र के लोग बड़ी संख्या में हैं. यह हमारी सबसे बड़ी ताकत है. अगर इन सभी युवाओं को सही मौके और अच्छी नौकरियां मिलती हैं, तो यह हमारी अर्थव्यवस्था को तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है. लेकिन, अगर पर्याप्त नौकरियां नहीं मिलीं, तो यही 'फायदा' एक चुनौती में बदल सकता है. नागेश्वरन ने इस बात पर जोर दिया कि देश को न सिर्फ युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करना होगा, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) और सर्विसेस (सेवाओं) जैसे क्षेत्रों को भी मजबूत करना होगा ताकि हर साल इतनी नौकरियां पैदा हो सकें.

AI: खतरा नहीं, हमारा मददगार!

आजकल कई लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर चिंतित हैं कि इससे नौकरियां छिन जाएंगी. लेकिन CEA नागेश्वरन का नज़रिया बिलकुल अलग है. उन्होंने साफ किया कि AI नौकरियों को खत्म नहीं करेगा, बल्कि यह मानव कौशल और प्रोडक्टिविटी (उत्पादकता) को बढ़ाने में मदद करेगा. उनका कहना है कि AI नए तरह के काम और भूमिकाएं भी पैदा करेगा, जिनके बारे में हमने अभी सोचा भी नहीं है.

सोचिए, पहले जब कंप्यूटर आए थे, तब भी लोगों को लगा था कि नौकरियां कम हो जाएंगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि इसने हमारी काम करने की क्षमता को बढ़ाया और नए अवसर पैदा किए. AI भी कुछ ऐसा ही करेगा, यह हमारे सहायक के रूप में काम करेगा, जिससे हम और बेहतर ढंग से और ज्यादा काम कर पाएंगे. यह मशीनों और मनुष्यों के बीच का ऐसा तालमेल है, जो उत्पादन और कार्य क्षमता को कई गुना बढ़ा सकता है.

यह साफ है कि भारत के लिए अपनी युवा शक्ति को सही दिशा देना बहुत जरूरी है. हमें ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो रोजगार के अवसर पैदा करें और AI जैसी नई तकनीकों को गले लगाने से घबराएं नहीं, बल्कि उन्हें अपने विकास का हिस्सा बनाएं.