Indian Military Academy : क्या है रक्षा अकादमी का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान ?

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देहरादून : ब्रिटिश शासन काल में एक अक्तूबर 1932 को देहरादून में स्थापित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) ने 89 वर्ष का गौरवशाली सफर पूरा कर लिया है। 40 कैडेट्स के साथ शुरू हुआ यह सफर वर्तमान में 1650 कैडेट्स तक पहुंच गया है। अब तक अकादमी देश-विदेश की सेना को 63 हजार 381 युवा अफसर दे चुकी है। इनमें 34 मित्र देशों के 2656 कैडेट्स भी शामिल हैं।
शुक्रवार को आईएमए ने अपना 89वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। वार मेमोरियल पर शहीद सैन्य अफसरों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही अकादमी में बेहतर कार्य करने वाले सिविल स्टाफ को समादेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में भारतीय सैन्य अकादमी ने अलग मुकाम हासिल किया है।

Indian Military Academy

इसका श्रेय अकादमी में तैनात सभी अधिकारियों, जवानों व सिविल स्टाफ को जाता है। उन्होंने सिविल स्टाफ से इसी जज्बे के साथ कार्य करते रहने का आह्वान किया। सुरक्षा और सतर्कता के साथ ही अनुशासन की सीख भी दी। इस दौरान अकादमी के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, जवान व अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे। सभी ने अकादमी की गौरवशाली परंपरा को बनाए रखने का संकल्प लिया।

आईएमए का स्वर्णिम सफर-

  • एक अक्तूबर 1932 को 40 जेंटलमैन कैडेट्स के साथ अकादमी का सफर शुरू हुआ।
  • पहले बैच में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले तीन कैडेट्स बाद में तीन अलग-अलग देशों के सेना प्रमुख बने।
  • 10 दिसंबर 1932 को ब्रिगेडियर एलपी कालिंस अकादमी के पहले कमांडेंट बने।
  •  वर्ष 1947 में बिग्रेडियर ठाकुर महादेव सिंह आईएमए के पहले भारतीय कमांडेंट बने।
  • जनवरी 1949 में आईएमए आर्म्ड फोर्सेज अकादमी के रूप में स्थापित हुई।
  • अकादमी में 34 मित्र देशों के कैडेट्स को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है।
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