नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पता लगाया है कि एक झुरमुट एनजीसी 7733 के मुकाबले अलग गति से आगे की तरफ बढ़ रहा है। इसके बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि झुरमुट एनजीसी 7733 का हिस्सा नहीं है बल्कि उसकी उत्तरी भुजा के पीछे एक अलग छोटा ब्लैकहोल था। इसी ब्लैकहोल का नाम ‘एनजीसी 7733एन’ रखा गया है।
भारतीय खगोलविदों को हमारे समीपवर्ती ब्रह्मांड में तीन महाविशाल ब्लैकहोल के विलय की दुर्लभ घटना का पता चला है जिससे एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियस (एजीएन) का निर्माण होता है। इस खगोलीय घटना को लेकर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने जानकारी दी है कि यह खगोलीय घटना नई खोजी गई एक आकाशगंगा के केंद्र में हैं जहां सामान्य से बहुत अधिक चमक होती है।
वैज्ञानिकों द्वारा किये गए शोध कि अनुसार हमारे निकटवर्ती ब्रह्मांडों में हुई यह विरलतम घटना बताती है कि विलय करने वाले छोटे समूह अनेक महाविशाल ब्लैक होल का पता लगाने के लिए आदर्श प्रयोगशालाएं हैं। इनसे दुर्लभ घटनाओं का पता लगाने की संभावनाएं बढ़ती हैं। दरअसल, महाविशाल ब्लैकहोल का पता लगाना कठिन होता है, क्योंकि उनसे किसी भी प्रकार का प्रकाश उत्सर्जित नहीं होता।
किसी महाविशाल ब्लैकहोल पर आसपास की धूल और गैस गिरती है तो वह उसका कुछ द्रव्यमान निगल लेता है लेकिन, इसमें से कुछ द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित होकर विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में उत्सर्जित होता है, जिससे ब्लैकहोल बहुत चमकदार दिखाई पड़ता है। इन्हें एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियस (एजीएन) कहा जाता है। खगोलविद ‘एनजीसी 7733’ और ‘एनजीसी 7734’ की जोड़ी की परस्पर अंतक्रिया का अध्ययन कर रहे थे। इस दौरान एनजीसी 7734 के केंद्र से असामान्य उत्सर्जन और एनजीसी 7733 की उत्तरी भुजा से एक बड़े चमकीले झुरमुट का पता लगा।
खगोलविदों कि रिसर्च में पता चला है कि यह झुरमुट एनजीसी 7733 के मुकाबले अलग गति से आगे बढ़ रहा है। फिर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि झुरमुट एनजीसी 7733 का हिस्सा नहीं है बल्कि उसकी उत्तरी भुजा के पीछे एक अलग छोटा ब्लैकहोल था। इसका नाम ‘एनजीसी 7733एन’ रखा गया।शोधकर्ताओं का कहना है कि आकाशगंगाओं के आपस में मिलते समय उनमे मौजूद महाविशाल ब्लैकहोल के भी आपस में निकट आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।