पांच साल की उम्र में अंधेपन का शिकार होने के बावजूद हार नहीं मानी, यूपीएससी परीक्षा पास कर बने आईएएस अफसर

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कुछ लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनी किस्मत का रोना-धोना शुरू कर देते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है भारत के दूसरे नेत्रहीन आईएएस अफसर अजीत कुमार यादव की।

अजीत कुमार यादव ने 5 साल की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी, इसलिए कोई भी सपने देखना बंद कर सकता है लेकिन उन्होंने न केवल सपना देखा बल्कि उसे पूरा भी किया। अजीत हरियाणा के एक छोटे से गांव खीरी के रहने वाले हैं. महज पांच साल की उम्र में वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, जिसमें उनकी आंखों की रोशनी चली गई। अजीत कुमार यादव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई स्प्रिंगडेल्स स्कूल पूसा रोड से पूरी की। उसके बाद, उन्होंने दिल्ली के रामजस कॉलेज से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

साल 2005 में अजीत ने आईएएस बनने का सपना देखा और यूपीएससी की तैयारी करने लगे। साल 2008 में अजीत ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और 208वीं रैंक के साथ सफल भी हुए। इस रैंक से वे आईएएस बन सकते थे, लेकिन विकलांग होने के कारण उन्हें सिविल सेवा में कोई पद दिए बिना भारतीय रेलवे में एक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।

अजीत कुमार यादव का सपना आईएएस बनने का था, इसलिए उन्होंने रेलवे की नौकरी स्वीकार नहीं की। उन्होंने फिर कोशिश की और साल 2010 में आईएएस का पद पाकर अपने सपने को साकार किया। कहा जाता है कि अगर हम अपने सपने को लेकर ठान लें तो हर बाधा को पार कर सफलता हासिल कर सकते हैं, जिस तरह से अजीत ने अपनी सफलता का झंडा बुलंद किया। विकलांगता को हराना प्रेरणादायक है।

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