जिस जगह से भारत सरकार काम करती है, जहां देश के कानून बनते हैं, नीतियां बनती हैं, सारा विधायी कामकाज चलता है तो लोकतंत्र का मंदिर यानी हमारी संसद कहलाता है। उसे बनाने में कितने रुपए खर्च हुए थे? आज 28 मई को देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने इसका लोकार्पण कर दिया है।
आज हम संसद भवन की नई और पुरानी इमारतों की कहानी आपको बताएंगे। पहले बात पुराने संसद भवन की कर लेते हैं। इसकी नींव 12 फरवरी 1921 के दिन रखी गई थी, क्योंकि उस वक्त देश में अंग्रेजों की हुकूमत थी और इसीलिए इसका निर्माण भी ब्रिटिश सरकार ने ही करवाया था। इसका डिजाइन मशहूर आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था। संसद भवन का डिजाइन भले ही विदेशी आर्किटेक्ट ने बनाया हो, मगर इसकी वास्तुकला पर भारतीय परंपराओं की गहरी छाप है।
आने वाले समय में सांसदों की संख्या बढ़ने वाली है। साल दो हज़ार 26 में परिसीमन हो रहा है, जिसमें संसद सदस्यों की संख्या में इजाफा होना लगभग तय है। उस समय पुराना संसद भवन उनके लिए छोटा पड़ जाएगा। वह पहले से ही हाउसफुल हैं और इन्हीं सब बातों को देखते हुए मोदी सरकार ने नया संसद भवन बनवाया है। नए संसद भवन के बारे में बताएं तो करीब 65,000 वर्ग मीटर इलाके में बना है। यहां ज्यादा संख्या में सांसद बैठ सकेंगे। पुराने भवन में लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है।
भवन बनवाने में आया इतना खर्च
जबकि नई बिल्डिंग में लोकसभा हॉल की सिटिंग कैपेसिटी 888 है और राज्यसभा की 384। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संयुक्त सत्र के दौरान इसमें एक हज़ार 272 सांसद बैठ सकेंगे। नए संसद भवन की नींव पीएम मोदी ने दिसंबर 2 हज़ार 20 में रखी थी। निर्माण कार्य जनवरी 2021 में शुरू हुआ। इसका कंस्ट्रक्शन पूरा करने के लिए नवंबर 2022 का टारगेट रखा गया था, मगर निर्माण में देरी हुई। अब जाकर यह तैयार हो पाया है। संसद भवन की नई इमारत पर आए खर्च की बात करें तो पहले इस पर 862 करोड़ की लागत आने का अनुमान लगाया गया था, मगर खर्च बढ़ता गया और अब यह रकम लगभग 1200 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।
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