गौरीकुंड से लापता 19 लोगों में से तीन के शव बरामद हो गए हैं। लेकिन इस हादसे का आखिरकार जिम्मेदार कौन है? क्या केदारनाथ जाने वाले यात्री रास्तों में फंसे हुए हैं? उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? ऐसे हादसों को रोकने के लिए प्रशासन ने क्या तैयारियां की हुई थी? जो दुकानें सड़क किनारे लगाई गई थी, टैंट लगाए गए थे, उन्हें वहां तम्बू काटने की इजाजत आखिरकार किसने दी? यात्रा के दौरान जगह जगह टैंट लगाने पर छूट है। आपदा के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में हादसे होने पर कौन जिम्मेदारी लेगा? सवाल कई उठ रहे हैं, लेकिन कल रात गौरीकुंड में जो हुआ। अगर वहां अतिक्रमण कर दुकानें नहीं लगाई होती या इन्हें लगाने पर प्रशासन ने इन पर एक्शन लिया होता, उन्हें यहां दुकान लगाने से रोका होता तो शायद आज इन लोगों की जान बच पाती।
अगर आप इस जगह को ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखेगा कि इस जगह पर मकान बनने, दुकान लगाने जैसी कोई स्थाई या पक्की जमीन नहीं है। केदारघाटी आज से नहीं बल्कि वर्षों से आपदा के लिहाज से संवेदनशील रही है। पहाड़ी इलाका होने के नाते जहां भी कोई निर्माण कार्य होता है तो जमीन की मजबूती को लेकर ध्यान दिया जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। केदारनाथ यात्रा जैसे ही शुरू हो रही है तो जगह जगह तंबू गाड़कर दुकानें लगाई जा रही हैं और आपदा आती है तो ज्यादातर नुकसान ऐसे ही कच्ची जगहों पर होता है।
केदारनाथ के यात्रा पड़ावों पर अभी भी सैकड़ों दुकानों का संचालन हो रहा है और ऐसी जगहों पर हो रहा है जो आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। अगर समय रहते इनका संचालन बंद नहीं हुआ तो और भी हादसे हो सकते हैं। आपको बता दें केदारनाथ यात्रा में हर साल हजारों की संख्या में रोजगार की तलाश में नेपाली मूल के लोग नेपाल से रुद्रप्रयाग आते हैं। इस साल भी यहां आकर उन्होंने उन जगहों पर अपनी अस्थाई दुकानें लगाई, जहां पहले से ही खतरा बना हुआ था।
2013 की आपदा के बाद से डेंजर जोन में है ये इलाका
ऊपर पहाड़ी से मलबा गिरने का खतरा था। इसके बावजूद ये लोग अस्थाई दुकानें खोलकर बैठे थे। बताया जा रहा है कि प्रशासन की ओर से इन दुकानों को हटाने के लिए भी कहा गया था, लेकिन इन लोगों ने दुकानों को नहीं हटाया। गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक पाँच किलोमीटर का जो रास्ता है, वह भी 2013 की आपदा के बाद डेंजर जोन बना हुआ है। कुछ दिन पहले इसी इलाके में पहाड़ी से पत्थर गिरने से एक वाहन चालक की मौत हो गई थी। इसके बाद भी यहां अस्थाई दुकानें खोली। बैठे लोगों ने सबक नहीं लिया और आज यह बड़ा हादसा हो गया।
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