अहमदाबाद॥ अहमदाबाद की विशेष CBI अदालत ने बुधवार को 2004 में हुए इशरत जहां मुठभेड़ मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुलिस क्राइम ब्रांच के अफसर तरुण बारोट, जीएल सिंघल और अंजु चौधरी को बरी कर दिया है। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद ये निर्णय लिया गया।
अहमदाबाद में 15 जून, 2004 में हुआ यह एनकाउंटर ‘इशरत जहां मुठभेड़ कांड’ के नाम से चर्चित हुआ था।क्राइम ब्रांच ने लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी बताते हुए 19 साल की लड़की इशरत जहां, उसके साथी जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा को मुठभेड़ में मार गिराया गया था।इस मामले में आठ आरोपित थे जिनके विरूद्ध सत्र न्यायालय में मुकदमा चल रहा था।
मुक़दमे के दौरान शिकायतकर्ताओं में से एक जेजी परमार की मृत्यु हो गई। CBI ने जब आरोप पत्र दाखिल किया, तब तक एक और आरोपित कमांडो मोहन कलासवा का भी निधन हो गया था। गुजरात सरकार ने इस मामले में आरोपों का सामना कर रहे पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध मुकदमा चलाने से इनकार कर दिया था। राज्य सरकार की तरफ से केस चलाने से इनकार करने के बाद 2019 में सेवानिवृत्त डीआईजी डीजी वंजारा और एसपी एनके अमीन को मामले से अलग कर दिया गया था।
तीनों के विरूद्ध कार्रवाई ना किये जाने के फैसले के बाद ट्रायल व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया। बुधवार को इस मामले में केस से डिस्चार्ज होने की अर्जी पर सुनवाई हुई। इस मामले में CBI कोर्ट ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपने कर्तव्य के तहत काम किया है। अहमदाबाद की विशेष CBI अदालत ने बुधवार को इस मामले में तीनों पुलिस अधिकारियों को आईपीएस जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक तरुण बरोट और सहायक उप निरीक्षक अंजू चौधरी बरी कर दिया।
जांच में सामने आया था कि मुठभेड़ में मारे गए लोग लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे। इस मुठभेड़ के बाद इशरत जहां की मां समीमा कौसर और जावेद के पिता गोपीनाथ पिल्लई ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर मामले की CBI जांच की मांग की थी। इस पर मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया। इस मुठभेड़ में मारे गए इशरत जहां और जावेद शेख दोनों मुंबई के दोनों मूल निवासी थे। इस मामले में उस समय कई आईपीएस अधिकारी और वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।