चांद की सतह पर मिल गई सफलता, जिसका इंतजार था हो गया पूरा, अब विक्रम से…

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नई दिल्ली ।। ISRO के मिशन चंद्रयान 2 ऑर्बिटर ने सूरज से निकलने वाली सौर किरणों का शोध किया है। ये शोध 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच डेटा जुटाए हैं। इसमें खुलासा हुआ है कि सूरज गर्म और सूरज ठंडा होता है। शोध के अनुसार, सूरज हर 11 साल पर अपने तापमान का चक्र बदलता है। यानी 11 वर्ष के अंतर पर सूरज की गर्मी कम या अधिक होती है।

सूर्य की सतह और उसके वायुमंडल को कोरोना के नाम से जानी जाती है। ये हर 11 वर्षों में एक बार अपने ‘सौर मैक्सिमा’ और ‘सौर मिनिमा’ से गुजरता है। शोध में खुलासा हुआ है कि जब सूरज पर अधिक लाल धब्बे (सन स्पॉट) दिखाई पड़ते हैं तो मान लेना चाहिए कि सूरज अभी गुस्से में है यानी गर्म है। इसे सोलर मैक्सिमा कहते हैं। जबकि इसके उलट सूरज पर जब धब्बे कम दिखें या ना के बराबर दिखे तो इसे सोलर मिनिमा कहते हैं। यानी इस दौरान सूरज शुष्क या ठंडा होता है।

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प्रति वर्ष उत्सर्जित होने वाले सौर एक्स-रे का संचयी उत्सर्जन सौर चक्र के साथ रूप बदलता रहता है, हालांकि ये बहुत कम वक्त के लिए होता है। बहुत बड़ी एक्स-रे तीव्रता भिन्नता के साथ छिद्रित होते हैं। इस तरह के एपिसोड को सोलर फ्लेयर्स के रूप में जाना जाता है। इस सौर से धरती के चारों ओर घूम रहे सेटेलाइट्स प्रभावित होते हैं, पृथ्वी पर संचार बाधित हो सकता है। इतना ही नहीं GPS सिस्ट़म काम करना बंद कर सकता है।

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