कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, अस्थमा और गठिया के लिए रामबाण है ये फल, जानें इसके बार में

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काले-काले जामुन देखते ही मन ललचाता है, किंतु क्या आप जानते हैं कि ये औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके सेवन से न कि कैंसर काबू में आता है बल्कि हृदय रोग, अस्थमा, गठिया के अलावा भारतीय समाज के लिए नासूर बन चुका मधुमेह भी नियंत्रित रहता है। लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान राहमनखेड़ा के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन के मुताबिक जामुन के फल और गुठली न सिर्फ मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण है बल्कि केंसर, गठिया और अस्थमा को भी नियंत्रित करने में सक्षम है।

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इतने तरह से हो रहा इस्तेमाल

जामुन का इस्तेमाल कई तरह से संभव है। मार्केट में फल के रूप में सीमित समय तक उपलब्ध रहने वाले जामुन ने अनेक रूपों में अपनी धमक खुले बाजार में अच्छी तरह से स्थापित कर ली है। इसे वाइन, जूस, बार, सिरका, जैली जैसे उत्पाद के रूप में पूरे वर्ष सेवन किया जा सकता है। यह मूल्य वर्धित उत्पाद तो है ही, ताजे फल के समान ही पौष्टिक, स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक भी होता है।

स्वास्थवर्धक गुण से भरपूर है यह ’सुपरफ्रूट’

डॉ. शैलेन्द्र राजन बताते हैं कि जामुन, स्वास्थ्य वर्धक गुणों की खान है। इस वजह से उसे सुपरफ्रूट की श्रेणी में रखा गया है। कैंसर, गठिया, मधुमेह, अस्थमा आदि मरीजों के लिए जामुन का फल बहुत ही इस्तेमाली है। इनके अलावा यह फल पेट दर्द और मूत्र रोग को राहत देने भी है। बता दें कि इसके बायोएक्टिव यौगिक कैंसर, हृदय रोग, मधुमेंह, अस्थमा और गठिया में प्रभावी हैं। ये एंटी-ऑक्सीडेंट के धनी हैं। इनका कहना है कि मधुमेंह और कैंसर रोधी गुणों के कारण इसके महत्व को विकसित देशों ने भी स्वीकार किया है।

उद्यमियों के लिए भी लाभदायक

डॉ. राजन की मानें तो जामुन के मूल्य संवर्धित प्रोडक्ट्स में वाइन का बहुत ही महत्व है। उद्यमी भी इसका भरपूर लाभ ले सकते हैं। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा छोटे उद्यमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में गांव-शहर दोनों स्थानों पर इससे उद्योग स्थापित किया जा सकता है। जामुन वाइन का स्वाद-सुगंध काफी अच्छा है। यह बायोएक्टिव यौगिकों से भरपूर है। इस वजह से प्रसंस्करण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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