अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे ‘आपातकाल की याद दिलाने वाला’ घटनाक्रम बताते हुए इसकी निंदा की है।
प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा कि ‘हम प्रेस की स्वतंत्रता पर हुए इस हमले की भर्त्सना करते हैं। यह प्रेस के साथ व्यवहार का तरीका नहीं है। यह हमें आपातकाल की याद दिलाता है, जब प्रेस के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता था।’
इसी बीच अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की है। वहीं पत्रकारों ने भी इस कार्रवाई की निंदा की है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि अगर आज अर्नब के साथ खड़े नहीं हुए तो इसका मतलब होगा कि आप फासिज्म का समर्थन कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ‘यह एक अघोषित आपातकाल की ओर जाता फासिस्ट कदम है। पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर हमला सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है। भारतीय लोकतंत्र पर होने वाले इस प्रकार के हमले के खिलाफ हम सब को खड़ा होना होगा।’
भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि एक बंद पड़े मामले को दोबारा जांच के लिए खुलवाकर अर्नब को गिरफ्तार किया जाना बदले की भावना को दर्शाता है। उन्हें आशा है कि न्यायपालिका इस पर उचित दृष्टिकोण रखेगी और यह भी उम्मीद है कि मीडिया से जुड़ी हुई अन्य इकाइयां इस पर उचित प्रतिक्रिया देंगी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आपातकाल के शेड्स!। अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। जो लोग वास्तव में इस स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, उन्हें अवश्य बोलना चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि क्या हम लोकतंत्र की आड़ में फासिज्म और तानाशाही के दौर में लौट रहे हैं? बदले की राजनीति सभी सीमाओं को पार कर गई है। अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए कोई आधार नहीं है। महाराष्ट्र सरकार प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त करने के लिए क्या कर सकती है, यह दर्शाता है।
दरअसल, यह मामला 2018 का है, जब एक 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक ने मई 2018 में अलीबाग में आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद एक सुसाइड नोट मिला था, जो कथित तौर पर अन्वय द्वारा लिखा गया था। इस सुसाइड नोट में उन्होंने कहा था कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य ने उन्हें 5.40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा।
53 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक मई 2018 में अलीबाग तालुका के कावीर गांव में अपने फार्महाउस पर मृत पाए गए थे। अन्वय फर्स्ट फ्लोर पर मृत पाए गए, जबकि उनकी मां का शव ग्राउंड फ्लोर पर मिला था। इसके बाद 48 वर्षीय अन्वय की पत्नी अक्षता नाइक ने मामला दर्ज कराया था। उस घटना के बाद जो सुसाइड नोट मिला, उसमें मृतक ने आरोप लगाया था कि उसे और उसकी मां को अपनी जिंदगी समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उन्हें अर्नब गोस्वामी और दो अन्य फिरोज शेख और नितेश सरदा के द्वारा 5.40 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया।
मई 2020 में अन्वय नाइक की बेटी अदन्या ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से से दोबारा जांच करने की गुहार लगाई। अदन्या ने आरोप लगाया कि अलीबाग पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने नए सिरे से जांच की घोषणा की। इससे पहले स्थानीय पुलिस ने यह कहते हुए मामला बंद कर दिया था कि मामले में दर्ज लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।