पत्रकार को खबर लिखने से रोका नहीं जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड ने एक फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता के पत्रकार द्वारा सरकार के खिलाफ भविष्य मे न लिखने की शर्त के साथ जमानत देने का अनुरोध किया था जिस पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने पत्रकारों को कुछ कहने या लिखने से नहीं रोकने की व्यवस्था देते हुए कहा कि यह बिल्कुल वैसा होगा कि हम एक वकील से यह कहें कि आपको बहस नहीं करनी चाहिए।

वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव सुमित अवस्थी ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुप्रीम फैसले का स्वागत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति को पूरे देश के पत्रकार संगठनों की तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया है और कहा है कि पत्रकार को देश का चौथा स्तंभ माना जाता है और वह हमेशा देश को मजबूत करने और स्वस्थ समाज की परिकल्पना की आवाज को अपनी लेखनी से उजागर करता है इसलिए उसके स्वस्थ लेखन पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक ना लगा कर देश की प्रशासनिक अधिकारियों को, एक संदेश दिया। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज़ सभी छह मामलों में अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम अदालत के इस फैसले का बड़ा संदेश यही है कि कोई भी सरकार मनमाने तरीके से अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल नहीं सकती। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी फ्रीलांस पत्रकार प्रशांत कनौजिया को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली स्थित उनके निवास से अरेस्ट किया था। प्रशांत पर अयोध्या के राम मंदिर को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप है। वहीं नूपुर शर्मा विवाद के बीच दिल्ली पुलिस ने भी हेट स्पीच फैलाने कि आऱोप में कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसमें दिल्ली भाजपा की मीडिया सेल के निष्कासित प्रमुख नवीन कुमार जिंदल, शादाब चौहान, पत्रकार सबा नकवी, राजस्थान के मौलाना मुफ्ती नदीम, अब्दुर रहमान, गुलजार अंसारी और हिंदू महासभा पदाधिकारी पूजा सकुन पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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