Jyotish Tips: शनि देव से जुड़े ये रहस्य आपकी कुंडली में शुभ और अशुभ होने के कारण बनते हैं

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ग्रहों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का मानना ​​है कि नौ ग्रहों में शनि का एक अलग और खास स्थान है। सनी को संतुलन, सीमा और न्याय का ग्रह भी कहा जाता है। सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति का जीवन शनि देव से प्रभावित होता है, उसका जीवन बहुत दुखी और परेशान हो जाता है। सनातन धर्म धर्म के अनुसार सनी को सूर्य का पुत्र और देवता माना जाता है, जबकि ज्योतिष में सनी को न्याय का देवता माना जाता है। कुंडली में स्थित 12 भावों पर सूर्य का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र में शनि को अत्यंत क्रूर ग्रह माना गया है। इसके साथ ही राहु और केतु को भी दुख का सबसे बड़ा कारण माना गया है। ऐसा कहा गया है कि जिस व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा होती है उसके जीवन में कभी भी कोई कष्ट, दुख या कष्ट नहीं होता है। लगातार शनिदेव की उपासना करने वाले पर शनि देव की असीम कृपा बनी रहती है।

शनि देव को संतुलन, सीमा और न्याय का ग्रह भी कहा जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जहां से सूर्य देव का प्रभाव समाप्त होता है वहीं से शनि देव का प्रभाव शुरू होता है। जहां दूसरे अच्छे और ईमानदार व्यक्ति का साथ देने वाले पर शनि देव की कृपा बनी रहती है, वहीं बुरे कर्म करने वालों की भी शनि की कुटिल दृष्टि हो सकती है, क्योंकि सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली दृष्टि ग्रह की मानी जाती है। शनि ग्रह। शनिवार के दिन निम्न वैदिक मंत्र से शनि देव की पूजा करने से शनि देव की कृपा सदैव बनी रहती है।

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