1983 विश्व कप जीत ने भारतीय क्रिकेट को बदल कर रख दिया : कैफ

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नई दिल्ली॥ टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद कैफ ने गुरुवार को 1983 विश्व कप की जीत को याद करते हुए कहा कि इस जीत ने भारतीय क्रिकेट को बदल कर रख दिया। बता दें कि कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने आज ही के दिन 1983 विश्व कप के खिताबी मुकाबले में वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर खिताब पर कब्जा किया था।

Mohammad kaif

इस जीत को याद करते हुए कैफ ने ट्वीट किया, “25 जून, 1983, लॉर्ड्स में विश्व कप ट्रॉफी लेते हुए कपिल देव की प्रतिष्ठित छवि भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। 83 विश्व कप की जीत ने भारत में क्रिकेट को बदल दिया है। इस जीत ने असंभव को प्राप्त करने और बड़े सपने देखने के लिए अगली पीढ़ी को प्रेरित किया।”

1983 की जीत के बाद, देश में क्रिकेट को चाहने वालों की बाढ़ सी आ गई और क्रिकेटर बनने की चाहत रखने वाले हर बच्चों के साथ प्रशंसकों में भी इस खेल के प्रति आकर्षण बढ़ गया। 1983 विश्व कप के फाइनल में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रन का मामूली सा स्कोर बनाया था। लेकिन इतने छोटे लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन पर ऑल आउट हो गई और भारत ने वह मैच 43 रन से जीत कर पहली बार विश्व कप ट्रॉफी का खिताब उठाया।

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पिछले दो विश्व कप (1975 और 1979) में चैंपियन बनी वेस्टइंडीज की टीम सितारों से भरी हुई थी, जिसमें जोएल गार्नर, गॉर्डन ग्रीनिज, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, मैल्कम मार्शल, डेसमंड हेन्स, सर एंडी रॉबर्ट्स और माइकल होल्डिंग जैसे नामी खिलाड़ी थे। इस टीम को हराना तो दूर उसके बारे में सोचना भी गलत था।

उनके सामने थी कपिल देव के नेतृत्व वाली एक युवा भारतीय टीम, जोकि इस टूर्नामेंट में एक अंडरडॉग टीम के रूप में खेल रही थी। जब वेस्टइंडीज ने भारत को 183 रन पर आउट कर दिया, तो ऐसा लग रहा था कि दुनिया वेस्टइंडीज को विश्व कप खिताब की हैट्रिक लगाते हुए देखेगा। मगर उस दिन भाग्य की योजनाएं थोड़ी सी अलग थीं।

तीसरी बार विश्व कप जीतने की उम्मीद के साथ मैदान पर बल्लेबाजी करने आई वेस्टइंडीज की टीम की शुरुआत खराब रही, और तेज गेंदबाज बलविंदर संधू ने ग्रीनिज को एक रन पर बोल्ड कर दिया। मगर अभी भी भारत के लिए राह बहुत कठिन थी।

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ग्रीनिज के बाद मदन लाल ने डेसमंड हेन्स और विवियन रिचर्ड्स को भी सस्ते में निपटाकर भारत के लिए उम्मीद जगा दी थी। जिसके बाद वेस्टइंडीज ने छोटे – छोटे अंतराल में विकेट गवाने शुरू कर दिए थे और कप्तान क्लाइव लॉयड भी रोजर बिन्नी के हाथों आउट हो कर पविलियन लौट गए थे। लॉयड के आउट होने के बाद वेस्टइंडीज की टीम ज्यादा देर नहीं टिक सकी और 140 रन के स्कोर पर पूरी टीम ऑल आउट हो गई। इसके साथ ही भारत ने वह कर दिखाया जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

भारत के विश्व चैंपियन बनते ही उसका नाम वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी बड़ी टीमों के साथ लिया जाने लगा और इसके साथ ही कपिल देव की सेना ने भारत को क्रिकेट में एक नई पहचान भी दिलाई। हालांकि, 28 साल बाद 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत श्रीलंका को हराकर एक बार फिर विश्व विजेता बना। इसके साथ ही भारत वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद एक से ज्यादा बार विश्व कप जीतने वाला तीसरा देश बना।

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