समुदाय को जागरूक करके पाया जा सकता है कालाजार पर काबू

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कालाजार पर नियंत्रण में समुदाय की भूमिका और सहभागिता महत्वपूर्ण

कुशीनगर। कालाजार पर नियंत्रण के लिए समुदाय की भूमिका और सहभागिता महत्वपूर्ण है। जन समुदाय को जागरूक करके कालाजार पर काबू पाया जा सकता है। इन दिनों चल रहे दस्तक पखवाड़े में प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ता न सिर्फ टीबी, बुखार, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के लक्षण वाले व्यक्तियों की सूची तैयार करें बल्कि लोगों को कालाजार के लक्षण, बचाव और उपचार के बारे में भी बताएं।

उक्त जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.सुरेश पटारिया ने दी। उन्होंने कहा कि बारिश का मौसम आ गया है। इस मौसम में जल एवं मच्छर जनित बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सभी को सचेत रहना होगा। इन बीमारियों से बचाव के लिए जन समुदाय को लक्षण बताकर जागरूक भी करना होगा।

मलेरिया निरीक्षक पिंकेश राय एवं विजय गिरी ने बताया कि गांव में ग्राम प्रधान, संभ्रांत व्यक्ति,आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा जागरूक लोगों के साथ बैठक करके जन समुदाय को कालाजार से बचाव की जानकारी दी जाती है। हैंडबिल के माध्यम से उनको जागरूक किया जाता है। लोगों को बचाव , उपचार एवं इलाज के बारे में बताया जाता है।

प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओं द्वारा संभावित रोगियों की स्क्रीनिंग भी की जाती है। यदि किसी व्यक्ति में कालाजार के लक्षण पाए जाते हैं तो उसकी जांच कराकर इलाज कराने की सलाह भी दी जाती है। साथ ही गांव में निरोधात्मक कार्यवाही भी शुरू की जाती है। दस्तक पखवाड़े में मलेरिया निरीक्षक प्रगति द्विवेदी, एमएन शुक्ला, सोनम पांडेय और अंकिता श्रीवास्तव नियमित रूप से पर्यवेक्षण कार्य में लगी हैं।

कालाजार के उन्मूलन के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग सतत प्रयत्नशील है। साल भर में दो बार छिड़काव होने तथा लोगों में जागरूकता आने से अब कालाजार के केस घटने लगे हैं। कालाजार की रोकथाम के लिए पीसीआई और पाथ जैसी संस्थाएं भी पूरा प्रयास करती हैं। कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। यह वेक्टर जनित रोग है। जिससे बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है।

पीसीआई के जिला समन्वयक एसएन पांडेय ने बताया कि कालाजार से बचाव के लिए गांव के आसपास के स्कूलों में भी गोष्ठी आयोजित कर स्कूली बच्चों और शिक्षकों को भी जागरूक किया जाता है। गांव के आसपास के निजी चिकित्सकों तथा मेडिकल स्टोर संचालकों से भी कालाजार से बचाव के लिए सहयोग लिया जाता है।

यदि किसी गांव में कोई कालाजार का रोगी मिलते है तो उसे सरकारी एंबुलेंस से इलाज के लिए भेजा जाता है। साथ में आशा कार्यकर्ता भी जातीं हैं । जब मरीज को महंगा इलाज निःशुल्क मिलता है तो वह सबसे बड़ा प्रेरक बन जाता है। मरीज को ढूंढ कर इलाज दिलवाने वाली आशा कार्यकर्ता को प्रति केस 500 रुपये पारिश्रमिक मिलता है।

जागरूकता बढ़ी तो घटने लगे केस

सेवरही ब्लाॅक के ग्राम पंचायत मिश्रौली की ग्राम प्रधान सिरजा देवी ने बताया कि उनके गांव में वर्ष 2019 और 2022 में कालाजार के दो-दो केस मिले थे। दवा होने के बाद सभी ठीक भी हो गए।

इसके बाद ग्राम पंचायत की हर बैठक में कालाजार से बचाव और उपचार के लिए चर्चा होती है। स्वास्थ्य विभाग के लोगों द्वारा लक्षण बताकर समुदाय को जागरूक किया जाता है। बीते दो साल से कालाजार का कोई केस नहीं मिला, जो सुखद संदेश है। कालाजार से बचाव के लिए घरों में छिड़काव कराया जाता है। जिन लोगों द्वारा छिड़काव का प्रतिरोध किया जाता है उन्हें समझा कर उनके घरों में छिड़काव कराया जाता है।

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