लखनऊ। नगर पालिका सिद्धार्थनगर में अवैध अतिक्रमण (Illegal encroachment) करने वालों की चांदी है। पालिका के अधिशासी अधिकारी अवैध अतिक्रमण करने वालों पर मेहरबान हैं। मजे की बात यह है कि अधिशासी अधिकारी को अतिक्रमण नजर तो आता है। उसे हटाने के लिए वह अतिक्रमण करने वालों को नोटिस भी भेजते हैं। पर एकाएक मामला बर्फ की मानिन्द ठंडा हो जाता है। मानो कभी उन अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजी ही नहीं गई हो। उनका अतिक्रमण करने वालों पर रहम करना संकेत करता है कि दाल में कुछ काला है।
आपको बता दें कि यह मामला नगर पालिका सिद्धार्थनगर के पुरानी नवगढ पोखरी पर अतिक्रमण से जुड़ा है। अधिशासी अधिकारी ने 11 स्थानीय लोगों को पोखरे पर हुए अतिक्रमण हटाने के बाबत नोटिस भेजा। पर अतिक्रमण नहीं हटा तो उन्होंने पुन: 8 सितम्बर को मोहल्ला पश्चिम गोला में पोखरे पर किए गए अतिक्रमण व अवैध निर्माण को हटाने के लिए नोटिस भेजा। उसमें उन्होंने यह भी कहा है कि सार्वजनिक सम्पत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए समाचार पत्रों व डुग्गी के माध्यम से प्रचार प्रसार भी कराया गया था। पर अभी तक अतिक्रमण हटाया नहीं गया है।
उन्होंने अतिक्रमण करने वालों को तीन दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने को कहा था और यह भी कहा था कि यदि अतिक्रमण नहीं हटा तो परिषद प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटवाएगा और उसका पूरा खर्च अवैध निर्माण व अतिक्रमण करने वालों से वसूला जाएगा। उनकी इस चेतावनी का भी कोई असर नहीं पड़ा। अतिक्रमण अभी तक बरकरार है। यही कारण है कि अब अतिक्रमण से नाराज स्थानीय निवासी अधिशासी अधिकारी पर उंगली उठाने लगे हैं।