हिंदुस्तान में ऐसे हुई ईसाई धर्म की शुरुआत, जरूर जानिए

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नेशनल डेस्क ।। ईसाई धर्म भारत के प्रमुख धर्मों में एक है। गोवा, केरल और मिजोरम में ईसाई धर्म मानने वालों की सबसे ज्यादा आबादी रहती है। वहीं इन तीनों शहरों की बात करें तो केरल में सबसे ज्यादा ईसाई धर्म मानने वाले लोग रहते हैं। ईसाइयों में बहुत से समुदाय हैं- जैसे: कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, ऑर्थोडॉक्स आदि।

भारत में लगभग 73 फीसदी ईसाई कैथोलिक हैं। वहीं, ईसाइयों की बात करें तो सीरियन क्रिश्चियन, गोयन क्रिश्चियन, तमील क्रिश्चियन, एंगलो इंडियन, नागा क्रिश्चियन आदि हैं। इन सभी क्रिश्चियन की भाषा, संस्कृति और आर्थिक स्थिति एक दूसरे से काफी अलग होती है।

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मान्यता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सबसे पहल केरल के तटीय नगर क्रांगानोर से हुई। माना जाता है कि ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस 52 A।D में केरल के कोडुन्गल्लुर आए थे। भारत आने के बाद सेंट थॉमस ने 7 चर्च बनावाए। साथ ही कुछ दूसरे धर्म के लोगों को भी ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए राजी किया।

इसके बाद सेंट थॉमस लोगों का धर्म-परिवर्तन करते हुए भारत के पूर्वी तट पर चले गए और वहां से चीन को पार कर गए थे। भारत लौटने पर वह मद्रास यानी चेन्नई में बस गए और यहां के लोगों को ईसाई धर्म की जानकारी देने लगे। लेकिन चेन्नई के लोगों ने नए धर्म को स्वीकार नहीं किया।

ये भी कहा जाता है कि इसके बाद यहां के लोगों ने सेंट थॉमस पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और एक गुफा में उनका कत्ल कर दिया गया। चेन्नई में ये जगह सेंट थॉमस माउंट के नाम से आज भी प्रसिद्ध है। साल 1523 में पोर्तुगीज ने उनकी कब्र पर चर्च बना दिया, जहां भारी संख्या में लोग जाते हैं।

माना जाता है कि सेंट थॉमस जिस वक्त भारत आए थे, उस समय कई यूरोपियन देशों में ईसाई धर्म नहीं था। इसलिए भारत में ईसाई धर्म की जड़ें कई यूरोपियन देशों से पहले ही फैल चुकी थीं।

फोटो- फाइल

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