जल्द ही खुशखबरी के आसार नजर आ रहे हैं क्योंकि अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में देश को एक ऐसी कोरोना वैक्सीन मिल जाएगी, जिसे रखने के लिए किसी तरह के विशेष इंतजाम की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे इसे कहीं भी लाना-ले जाना आसान होगा, जिससे टीकाकरण की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बेंगलुरु स्थित प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के स्टार्ट-अप ने इस वैक्सीन को विकसित किया हैं, जिसे चूहों और हैमस्टर्स पर परीक्षण में कोरोना के सभी प्रमुख वैरिएंट के खिलाफ कारगर पाया गया है। अब इसका इंसानो पर परीक्षण किया जाना बाकी है।
ये वैक्सीन, टीकाकरण के मामले में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। गर्म मौसम वाले देशों के लिए अहम आइआइएससी के स्टार्ट-अप द्वारा विकसित यह टीका ‘गर्म वैक्सीन’ है। सीएसआइआरओ के स्वास्थ्य एवं जैव सुरक्षा निदेशक राब ग्रेनफेल ने कहा है कि थर्मोस्टेबल या गर्म वैक्सीन गर्म मौसम वाले दूर दराज के क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए बहुत ही अहम है।
आस्ट्रेलिया के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए भी यह वैक्सीन महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके अलावा वार्म वैक्सीन या गर्म वैक्सीन ऐसी जगहों पर भी रखने में काम आएगी जहां रेफ्रिजरेटर और अन्य संसाधनों की सुविधा मौजूद नहीं है।
एसीएस इंफेक्शस डिजीज जर्नल में गुरुवार को प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना रोधी वैक्सीन का यह फार्मूला आइआइएससी के स्टार्ट-अप मायनवैक्स ने विकसित किया है, जिसने चूहे में मजबूत प्रतिरक्षा पैदा की है। सीएसआइआरओ के कोविड-19 प्रोजेक्ट के अगुआ और अध्ययन के सह लेखक एसएस वासन के मुताबिक इस वैक्सीन का चूहे के सीरा पर प्रयोग किया गया। इसमें वैक्सीन ने डेल्टा समेत कोरोना वायरस के सभी मौजूदा वैरिएंट के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा पैदा की। अध्ययन में पाया गया कि इस वैक्सीन से पैदा होने वाली एंटीबाडी सार्स-कोव-2 के अल्फा, बीटा, गामा वैरिएंट को रोकने में भी सक्षम हैं।