जानें उत्पन्ना एकादशी का महत्व और नियम, क्या है इसके व्रत में ख़ास

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उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. मौसम और स्वास्थ्य के दृष्टि से इस माह में फल खाना अनुकूल होता है. इसलिए इस व्रत में फल को शामिल किया गया है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 22 नवंबर को होगी। आपको बता दें कि व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

चलिए जानते है इस व्रत को रखने के नियम?

– यह व्रत दो प्रकार से रक्खा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत

– सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए

– अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए

– इस व्रत में दशमी को रात्री में भोजन नहीं करना चाहिए

– एकादशी को प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है

– इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है

– और बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.

क्या करने से बचना चाहिए इस दिन?

– तामसिक आहार व्यहार तथा विचार से दूर रहें

– बिना भगवान विष्णु को अर्घ्य दिए हुए दिन की शुरुआत न करें

– अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग न करें

– अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें. केवल प्रक्रियाओं का पालन करें

19 फीटे नीचे मौजूद इस मंदिर के दर्शन के लिए करनी पड़ती है स्कूबा डाइविंग

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