दुनिया में मलेरिया के पहले टीके आरटीएस, एस/एएस01 को डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी दे दी है। मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित अफ्रीकी देशों से इसकी शुरुआत होगी। इसके बाद WHO का फोकस दुनियाभर में मलेरिया वैक्सीन बनाने के लिए फंडिंग के इंतजामों पर होगा, जिससे यह टीका हर जरूरतमंद देश तक पहुंच सके। इसके बाद संबंधित देशों की सरकारें तय करेंगी कि वे मलेरिया को कंट्रोल करने के उपायों में वैक्सीन को शामिल करती हैं या नहीं।
WHO ने सब-सहारा अफ्रीकी देशों के बच्चों को दो साल की उम्र तक मलेरिया वैक्सीन के 4 डोज देने की सिफारिश की है। यह वैक्सीन प्लाच्मोडियम फैल्सिपेरम को बेअसर कर देती है। प्लाच्मोडियम फैल्सिपेरम मलेरिया फैलाने वाले 5 पैरासाइट्स में से एक है और सबसे खतरनाक होता है।
मलेरिया की वैक्सीन आरटीएस, एस/एएस01 का इस्तेमाल 2019 में घाना, केन्या और मालावी में पायलट प्रोग्राम के तौर पर शुरू किया गया था। इसके तरह 23 लाख बच्चों को वैक्सीन दी गई थी। इसके नतीजों के आधार पर ही WHO ने अब वैक्सीन को मंजूरी दी है। इस वैक्सीन को पहली बार 1987 में जीएसके कंपनी ने बनाया था।
भारत में 2019 में मलेरिया के 3 लाख 38 हजार 494 केस आए थे और 77 लोगों की मौत हुई थी। पिछले 5 सालों में भारत में मलेरिया से सबसे ज्यादा 384 मौतें 2015 में हुई थीं। इसके बाद से मौतों का आंकड़ा लगातार कम हुआ है।
WHO ने कहा है कि मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों के लिए यह वैक्सीन एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है।