वैसे तो हिंदू धर्म में उगते सूर्य को हमेशा से ही महत्व दिया जाता है। लोग उगते सूर्य को ही जल चढ़ाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें अस्त यानि कि डूबते सूर्य को जल दिया जाता है। हर साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ महापर्व मनाया जाता है। इस बार छठ की पूजा 20 नवंबर शुक्रवार को है। छठ पूजा 4 दिनों की होती है। ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में ये प्रश्न उठता है कि आखिर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का क्या महत्व है। तो चलिए जानते हैं कि छठ में डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मान्यता है कि शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, ऐसे में इस वक्त सूर्य की उपासना देवी प्रत्यूषा को प्रसन्न करती है और इसके फलस्वरूप व्यक्ति को प्रत्यूषा के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धी मिलती है।
मान्यता है कि इससे जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, खासकर जो लोग किसी मुकदमे में फंस गए हों या जिनका कोई काम अटका हो, उनके लिए ये अस्त होते सूर्य की उपासना लाभकारी होती है। इसके अलावा आंखों और सेहत से जुड़ी दूसरी समस्याओं के निवारण में भी डूबते सूर्य को अर्घ्य देना लाभकारी होता है।
हालांकि ये भी मान्यता है कि जो लोग डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी ज़रूर करनी चाहिए। इसीलिए छठ पर्व में संध्या के साथ ही सूर्योदय के समय भी पूजा-अर्चना कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।