भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्णजन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग में जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोग मंदिरों में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाते हैं। वहीं घरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की विशेष आराधना की जाती है। हिन्दू शास्त्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को ‘व्रतराज’ भी कहते है। इसके अनुसार इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को साल भर के व्रतों से भी अधिक शुभ फल प्राप्त होता है। देश ही नहीं विदेशों में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। विदेशों में भी भगवान कृष्ण के भक्त भव्य झांकियां निकालते हैं और उनकी आराधना करते हैं। आइये जानते हैं जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बालगोपाल की पूजा सामग्री में क्या-क्या होता है।
लिस्ट धूप बत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, कुमकुम,शुद्ध घी, दही, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, सप्तधान, कुशा व दूर्वा, पुष्पमाला, कमलगट्टे, तुलसीमाला, खड़ा धनिया, सप्तमृत्तिका, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, गणेशजी की तस्वीर, अम्बिका जी की तस्वीर इलायची (छोटी), लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन), पंच पल्लव, (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), पंचामृत, केले के पत्ते, औषधि, (जटामांसी, शिलाजीत आदि), श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर,, भगवान के वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने के लिए वस्त्र, जल कलश (चांदी, तांबे या मिट्टी का), सफेद कपड़ा (करीब आधा मीटर), लाल कपड़ा (करीब आधा मीटर), पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार), दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल,बन्दनवार, ताम्बूल , नारियल, चावल, गेहूं, गुलाब और लाल कमल के फूल, हल्दी की गांठ, दूर्वा, अर्घ्य पात्र आदि।
तिथि- 18 अगस्त दिन गुरुवार अष्टमी तिथि आरंभ शाम 9 बजकर 21 मिनट से
अष्टमी तिथि SMAPN- 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट तक.
अभिजीत मुहूर्त – 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक, वृद्धि योग – 17 अगस्त दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक, ध्रुव योग – 18 अगस्त रात 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 8 बजकर 59 मिनट तक, भरणी नक्षत्र – 17 अगस्त रात 09 बजकर 57 मिनट से 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट तक, राहुकाल – 18 अगस्त दोपहर 2 बजकर 06 मिनट से 3 बजकर 42 मिनट तक, निशिथ पूजा मुहूर्त -रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 01:05 तक, व्रत पारण का शुभ मुहूर्त-19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट तक।