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इसरो के लिए आज यानी कि 2 सितंबर का दिन बहुत यादगार है। आज ही इसरो अपने पहले सूर्य मिशन को लॉन्च किया। सूर्य यान आदित्य L1 को 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर धरती और सूर्य के मध्य एलवन पॉइंट पर पहुंचाया जाना है। एलवन तक न केवल पहुंचना मुश्किल है बल्कि वहां बने रहना भी उतना ही मुश्किल।

सूर्य के निकट हैलो ऑर्बिट में आदित्य एलवन को स्थापित करने में 100 से 120 दिन का वक्त लगेगा। इसरो के लिए न सिर्फ बेहद अहम है, बल्कि काफी चुनौती भरा भी है। सोचने वाली बात है कि हम धूप में दो मिनट नहीं खड़े हो पाते हैं तो आदित्य एलवन सूर्य कितना पास जाकर कैसे बचा रहेगा?

हैलो ऑर्बिट में स्थापित होने के उपरांत आदित्य एलवन 24 घंटे सूर्य का निरीक्षण करेगा। गौरतलब है कि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर तापमान करीब पाँच हज़ार 500 डिग्री सेल्सियस रहता है। उसके केंद्र का अधिकतम टेम्परेचर 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है। ऐसे में किसी यान का वहां जाना संभव ही नहीं है। धरती पर इंसानों की बनाई ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो सूरज की इतनी गर्मी बर्दाश्त कर सके। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सूरज इतना गर्म है तो आदित्य एलवन वहां कैसे रहेगा।

जानकारी के मुताबिक, आदित्य को सूर्य पृथ्वी प्रणाली के लैंग्वेज पोइंट के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा। लैंग्वेज पोइंट अंतरिक्ष में वो जगह होती है जहां पर यदि किसी छोटे पिंड को रखा जाए तो वो वहीं ठहर जाता है। जिस ऑर्बिट में आदित्य जा रहा है उसकी खास बात ये है कि ये टेलिस्कोप को सूरज के चारों ओर घूमते वक्त धरती की सीध में रहने देती है।

 ये सैटेलाइट के बड़े संवेदशील की टेलीस्कोप को सूर्य गर्मी से बचाने में मदद करता है। बता दें कि आदित्य एलेवन में सात पेलोड होंगे, जिसमें चार पेलोड निरंतर सूर्य पर नजर रखेंगे और तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे। पेलोड के जरिए फोटो और क्रोमोसोम का अध्ययन किया जाएगा।

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