भारत ने बनाई खतरनाक मिसाइल, ये हथियार​​ 800 किमी तक ​दुश्मन को करेगा तबाह, जानें इसकी और खासियत

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पाकिस्तान और चीन से तनाव के बीच भारत ने मंगलवार को ​​अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र से दुनिया की सबसे तेज ​​ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भूमि हमले संस्करण का​ ​भारतीय सेना ने ​परीक्षण किया। भारत इस सप्ताह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के कई लाइव परीक्षण करेगा. ​जिसकी शुरुआत आज से ​की गई​ है​।

Indian Army- test fires land attack version-missile BrahMos

​भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास ब्रह्मोस मिसाइल के भूमि-हमले संस्करण का पहला परीक्षण किया। इसके लिए एक अन्य द्वीप पर लक्ष्य रखा गया था जिसका मिसाइल ने सफलतापूर्वक निशाना बनाया। ​​800 किमी रेंज ब्रह्मोस का परीक्षण 2021 के मध्य में किया जाएगा।​

इस सप्ताह होने हैं कई ‘लाइव मिसाइल टेस्ट’

इस सप्ताह सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना हिन्द महासागर क्षेत्र में 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल से कई ऑपरेशनल फायरिंग करेंगी, जो पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य टकराव के बीच अपनी सटीक-स्ट्राइक क्षमताओं का एक और प्रदर्शन होगा। ‘लाइव मिसाइल टेस्ट’ में इस्तेमाल की जाने वाली नॉन-न्‍यूक्लियर मिसाइल है।

यह मैच 2.8 की रफ्तार यानी आवाज की रफ्तार का लगभग तीन गुना गति से उड़ती है। आज पहला टेस्ट करके एक तरह से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में विमान और जहाजों के लिए अग्रिम चेतावनी जारी की गई है।

चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच इन टेस्‍ट्स से यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि मिसाइल कितनी सटीकता से टारगेट हिट कर सकती है। यह परीक्षण तब किये जाने हैं जब पहले से ही ब्रह्मोस लैंड-अटैक मिसाइल को चीन के खिलाफ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया गया है। इसके साथ टैंक, हॉवित्जर, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और अन्य हथियारों को भी तैनात किया गया है। इसी तरह ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कुछ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब एयरबेस में तैनात हैं।

800 किमी. रेंज की ब्रह्मोस का परीक्षण 2021 के मध्य में

भारत और रूस ने मिलकर सुपरसोनिक क्रूज मीडियम रेंज मिसाइल ब्रह्मोस को विकसित किया है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस मैक 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली इस मिसाइल में 200 किलो तक के पारंपरिक वारहेड ले जाने की क्षमता है।

पहले 300 किमी. तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। 400 किमी. से अधिक दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का 30 सितम्बर को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था। इसके अलावा एक और वर्जन टेस्‍ट हो रहा है, जो 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है। 800 किमी. रेंज की ब्रह्मोस का परीक्षण 2021 के मध्य में किया जाएगा।

​​हवा, पानी, जमीन… कहीं से भी कर सकते हैं फायर

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण करके भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। भारत और रूस द्वारा विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है।

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