कोरोना काल: उद्योग-धंधे बुरी तरह प्रभावित, घर लौट चुके मजदूरों को काम पर वापस लाने की इस तरह हो रही है कोशिशें

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डेस्क। कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप और दुबारा लाकडाउन की अफवाहों से मजदूर डरे व सहमे हुए हैं। महानगरों में जो मजदूर रह गए हैं वे घर वापस लौटना चाहते हैं। प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी आबादी पहले ही अपने घर लौट चुकी है। जो प्रवासी मजदूर अब तक रुके हुए थे वे अब रुकना नहीं चाहते हैं। ऐसे में उद्योग-धंधों का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इससे परेशान फैक्टरी मालिक मजदूरों को मनाने और पहले ही घर लौट चुके मजदूरों को वापस लाने की कोशिशें कर रहे हैं।

उद्योग संगठनों का कहना है कि दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और लुधियाना आदि महानगरों में कोरोना महामारी के गहराते संकट के चलते फैक्टरियों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर रुकने को तैयार नहीं हैं। फैक्टरियों का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी आबादी पहले ही लौट चुकी है और जो अब तक रुके हुए थे वे अब रुकना नहीं चाहते हैं। एक उद्यमी का कहना है कि मजदूरों के अभाव में फैक्टरियों का काम घटकर 25 फीसदी से भी कम रह गया है।

पंजाब व कुछ अन्य प्रांतों से पलायन कर चुके मजदूरों की वापसी का सिलसिला शुरू हो चुका है। धान की रोपाई शुरू होने से पहले पंजाब के किसानों ने बिहार से मजदूरों को बस से वापस लाने कि व्यवस्था की थी। तमाम मजदूरों के खातों में एडवांस रकम भी डाली गई। लेकिन दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में अब तक वापसी का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है। जो मजदूर पहले नहीं लौटे थे, अब वापस घर जाना चाहते हैं। दोबारा लॉकडाउन की अफवाह के बाद मजदूरों में फिर बेकार होने का डर बना हुआ है।

दिल्ली के बड़े औद्योगिक परिक्षेत्र बवाना में मजदूरों और कारीगरों की कमी के चलते कामकाज काफी प्रभावित हुआ है। फैक्टरी मालिक घर लौटे मजदूरों को वापस लाने की कोशिश में जुटे हैं। उद्यमियों का कहना कि ट्रेनें अगर सब जगह से चालू हो जाएं तो मजदूरों की वापसी शुरू हो जाएगी। मजदूरों को वापस काम पर लौटने के लिए कुछ उद्योग उनको इन्सेटिव भी देने को तैयार हैं। इसके बावजूद ज्यादातर प्रवासी मजदूर वापस लौटने को तैयार नहीं हैं।

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